जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोमवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार, भोपाल में “जलवायु परिवर्तन हेतु वैश्विक प्रयास-भारत की प्रतिबद्धता में राज्यों का योगदान” पर आयोजित सम्मेलन में सहभागिता की और दीप जलाकर विमर्श सत्र का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने अपने विचार भी साझा किए। साथ ही कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विद्यालयों के छात्रों से मुलाकात की और भोपाल के माटी शिल्पकार लखन कुमार प्रजापति और बबलू प्रजापति द्वारा निर्मित टेराकोटा शिल्प का अवलोकन किया।
बता दें, भोपाल में आयोजित यह कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में राज्य द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो मध्यप्रदेश के आर्थिक विकास और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को एकीकृत करने के लिए एक नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु नेताओं, सरकारी अधिकारियों, पर्यावरण विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वहीं, कार्यक्रम में विमर्श के दौरान मध्यप्रदेश द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया गया, जो भारत के नेशनल डिटरमिन्ड कंट्रीब्यूशंस (NDCs) और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बता दें, इस कार्यक्रम का आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान (एग्पा) तथा मध्यप्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद ने नर्मदा समग्र संस्था पैरवी और सिकोइडिकोन संगठन के सहयोग से किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कार्यक्रम में कहा कि आज पर्यावरण एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। प्रधानमंत्री मोदी अपने सक्षम नेतृत्व के जरिए भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ऊंचा कर रहे हैं। उनकी पर्यावरण के प्रति चिंता इस बात से स्पष्ट होती है कि वे 2030 तक भारत के लिए 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। निश्चित रूप से, हम कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाने में सफल होंगे। यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय संकल्प है, जिसके लिए राष्ट्र के लोग भी सहयोग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार प्रयासरत है। प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प के अनुसार, प्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि के लिए अधिकतम योगदान देने का प्रयास करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी और उसके तटों के पर्यावरणीय संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। मध्यप्रदेश नदियों का मायका है। सभी नदियों की स्वच्छता और हमारे ईको सिस्टम का संतुलन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी और विमर्श सत्र से पर्यावरण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आएंगे। उन्होंने इस वैचारिक कार्यक्रम की सफलता की कामना की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्व जिस स्थिति से गुजर रहा है, उसमें हमारी भारतीय जीवन शैली, हमारी मान्यताएँ और परमात्मा तथा प्रकृति के साथ हमारे संबंध का महत्व स्पष्ट होता है। भारतीयों को एक उत्कृष्ट जीवनशैली के लिए जाना जाता है। हम खान-पान और जल की शुद्धता के प्रति गंभीर हैं। मध्यप्रदेश पर परमात्मा की विशेष कृपा है। जहाँ हमारा देश मानवता के प्रति प्रेम दर्शाता है, वहीं पर्यावरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी उल्लेखनीय है। विश्व के कल्याण के लिए भारत के उदात्त भाव से सभी परिचित हैं।