जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सोचिए, जब एक छोटी सी फाइल को आगे बढ़ाने के लिए या अपनी मेहनत की कमाई के अधिकार को पाने के लिए रिश्वत देनी पड़े, तो कैसा लगता है? यही रिश्वत, एक आम आदमी के सपनों को कुचलने का कारण बनती है और सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। बता दें, मंगलवार को उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए मंदसौर जिले के पटवारी जगदीश पाटीदार को 10 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
दरअसल, साकपुर तहसील के धर्मेंद्र मालवीय ने लोकायुक्त पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके पारिवारिक बंटवारे के मामले में पटवारी ने उनसे 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। इस शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस के एसपी अनिल विश्वकर्मा ने जांच शुरू की और डीएसपी राजेश पाठक और एएसपी सुनील तालान की अगुवाई में 10 लोगों की एक टीम बनाई। फिर फरियादी ने एसबीआई बैंक के बाहर पटवारी को रिश्वत की पहली किस्त देने के लिए बुलाया। जैसे ही पटवारी ने 10 हजार रुपए लिए, टीम ने उसे पकड़ लिया। लोकायुक्त पुलिस ने बताया कि पटवारी ने ये पैसे तहसीलदार के नाम पर मांगे थे। अब इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है।
वहीं, उज्जैन लोकायुक्त पुलिस की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों की एक महत्वपूर्ण मिसाल है। इससे न केवल भ्रष्टाचारियों के हौसले पस्त होंगे, बल्कि आम जनता में न्याय की उम्मीद भी जगेगी।