जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आदिवासी कलाकारों ने एक खास फिल्म बनाई है, जिसका नाम ‘जंगल सत्याग्रह’ है। यह फिल्म 1930 में अंग्रेजों के खिलाफ जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए हुए संघर्ष को दिखाती है। यह कहानी बैतूल के बहादुर आदिवासियों की एकता और संघर्ष का प्रतीक है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी।
राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी इस फिल्म का प्रीमियर 13 जनवरी को मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसरोवर सभागार में आयोजित किया जाएगा। इस शो का आयोजन एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा किया जा रहा है। वे इस फिल्म को बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को दिखाने वाले हैं। दिग्विजय सिंह ने इस विशेष प्रीमियर शो के लिए कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों, सांसदों, पूर्व विधायकों, मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को निमंत्रण भेजा है।
इस ऐतिहासिक फिल्म को देखने के लिए दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं को आमंत्रित किया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पीएस सचिन वत्स और मीडिया कोऑर्डिनेटर योगेंद्र सिंह परिहार ने भाजपा नेता वीडी शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को भी निमंत्रण भेजा है। साथ ही, दिग्विजय सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी प्रीमियर शो में आमंत्रित किया है।
जानकारी के लिए बता दें “जंगल सत्याग्रह” स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक ऐसा आंदोलन था, जो 1930 में बैतूल के वीर आदिवासियों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के लिए किया गया था। यह आंदोलन न केवल आदिवासी समाज की एकता और संघर्ष का प्रतीक है, बल्कि पूरे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को भी रेखांकित करता है। फिल्म में आदिवासी नायकों—सरदार गंजन सिंह कोरकू, सरदार विष्णु सिंह गोंड, ठाकुर मोहकम सिंह, रामजी कोरकू और जुगरू गोंड—के अद्वितीय संघर्ष को जीवंत रूप में दिखाया गया है, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।