जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
प्रयागराज महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। हर 12 साल में होने वाला यह आयोजन लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां लोग गंगा, यमुना, और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं।
लेकिन इस बार महाकुंभ चर्चा में है, सोशल मीडिया और वायरल वीडियो के कारण। खासकर, इंदौर की मोनालिसा और हर्षा रिछारिया के वीडियो और तस्वीरें इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही हैं। मोनालिसा जहां एक तरफ अपनी खूबसूरत आंखों और साधारण व्यक्तित्व के चलते सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, तो वहीं सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हर्षा रिछारिया अपने धार्मिक प्रवचनों और रील्स के कारण लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनीं। इन्हें महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी भी कहा जा रहा है। उनकी खूबसूरत तस्वीरें और रील्स सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं।
यही नहीं, IIT बॉम्बे से जुड़े बाबा अभय सिंह अपनी अनोखी जीवनशैली और सोच के चलते सुर्खियों में हैं। लेकिन क्या यह महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन की गरिमा को बनाए रखने में मदद कर रहा है या इसे भटका रहा है?
इस पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि “महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य आस्था और संस्कृति को जीवित रखना है, न कि इसे सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनाना। कुंभ रील्स और वायरल कंटेंट का स्थान नहीं है। हमें अपनी सनातन संस्कृति और उसकी गहराई को समझने की आवश्यकता है।” उन्होंने आगे कहा, “महाकुंभ का लक्ष्य यह होना चाहिए कि सनातन धर्म को कैसे सशक्त किया जाए, हिंदू राष्ट्र की स्थापना कैसे की जाए, और जो लोग सनातन से दूर हो गए हैं, उनकी पुनर्वापसी कैसे सुनिश्चित की जाए।”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह भी कहा, “महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन में ऐसी चीजों को बढ़ावा देना उचित नहीं है। कुंभ को रील्स और वायरल वीडियो का केंद्र बनाना इसके वास्तविक मकसद से भटकना है। यहां सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति को सुदृढ़ बनाने के लिए चर्चा होनी चाहिए, न कि इन गैर-मुद्दों पर।”
अब सवाल उठता है—क्या महाकुंभ का असली उद्देश्य आस्था और संस्कृति को जीवित रखना है, या फिर इसे एक वायरल ट्रेंड बना दिया गया है?