59 लाख की डिजिटल लूट! जबलपुर में रिटायर्ड अफसर को ‘गिरफ्तारी’ का डर दिखाकर ठगा, क्राइम ब्रांच बनकर कॉल किया; दो आरोपी जयपुर से गिरफ्तार!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश के जबलपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड सरकारी अफसर के परिवार को साइबर ठगों ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का डर दिखाकर पूरे 59 लाख 65 हजार रुपए की ठगी का शिकार बना लिया। दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर कॉल करने वाले जालसाज ने रिटायर्ड अफसर की पत्नी को बताया कि उनके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है और पुलिस उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। इस डर से महिला ने पति के साथ मिलकर अपनी रिटायरमेंट की पूरी रकम ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दी।

यह घटना 10 जनवरी से 20 जनवरी के बीच की है, जब यादव कॉलोनी निवासी 61 वर्षीय शशि शर्मा को एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉलर ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके नाम से फर्जी एटीएम और आधार कार्ड बनवाकर एक शख्स “नरेश गोयल” ने करोड़ों रुपये का लेन-देन किया है। उसने यह भी कहा कि उनका मोबाइल नंबर मनी लॉन्ड्रिंग में प्रयोग हो रहा है और दो घंटे में उनका सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा। साथ ही पुलिस की एक टीम उन्हें गिरफ्तार करने घर पहुंचने वाली है।

यह सब सुनकर महिला और उनके पति, जो व्हीकल फैक्ट्री से असिस्टेंट वर्क मैनेजर के पद से रिटायर हो चुके हैं, पूरी तरह घबरा गए। उन्होंने किसी को बताए बिना सबसे पहले 2 लाख रुपए एसबीआई कमला नेहरू नगर शाखा से ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर किए। इसके बाद लगातार कॉल्स और वीडियो कॉल्स के माध्यम से उन्हें निर्देश दिए जाते रहे और उन्हें भरोसा दिलाया गया कि यह सिर्फ जांच प्रक्रिया है, जिसके बाद सारी राशि उन्हें वापस कर दी जाएगी।

डर और भ्रम की स्थिति में दंपत्ति ने 10 से 20 जनवरी के बीच तीन बार में कुल ₹59,65,000 ट्रांसफर कर दिए —

  • 14 जनवरी को ₹15 लाख

  • 17 जनवरी को ₹32.65 लाख

  • 20 जनवरी को ₹9.98 लाख

लेकिन 20 जनवरी के बाद जब कॉल आना बंद हो गया, तब दंपत्ति को शक हुआ और उन्होंने बैंगलुरु में रहने वाली अपनी बेटी को पूरी घटना बताई। बेटी ने तुरंत ठगी की आशंका जताई और उन्हें साइबर क्राइम शाखा में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी।

22 जनवरी को शशि शर्मा और उनके पति साइबर थाने पहुंचे। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जबलपुर साइबर टीम और क्राइम ब्रांच ने संयुक्त रूप से मोबाइल नंबर और बैंक खातों को ट्रेस किया। ट्रेसिंग से पता चला कि ठग जयपुर, राजस्थान में सक्रिय हैं।

इसके बाद टीम ने जयपुर में दबिश दी और दो आरोपियों — मुकेश चौधरी और दीपक कुमावत को गिरफ्तार किया। हैरानी की बात यह है कि दोनों आरोपी पोस्ट ग्रेजुएट हैं और पूरे देश में फर्जी पहचान के जरिए कॉल कर लोगों को ठगते थे। उनके पास से दो मोबाइल, एक चेकबुक, एक एटीएम कार्ड और ₹11,500 नगद जब्त किए गए।

पूछताछ में खुलासा हुआ है कि ये दोनों एक बड़े साइबर गिरोह का हिस्सा हैं, जो “डिजिटल गिरफ्तारी”, “सिम ब्लॉक”, “मनी लॉन्ड्रिंग”, और “अकाउंट फ्रीज” जैसे डरावने बहानों से लोगों को मानसिक दबाव में डालकर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।

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