जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं – इस बार न्यायिक फैसलों को लेकर नहीं, बल्कि अपने सरकारी आवास को तय समय सीमा के बाद भी खाली न करने को लेकर। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को एक औपचारिक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 5, कृष्ण मेनन मार्ग स्थित Type-VIII बंगला तत्काल खाली कराया जाए। प्रशासन चाहता है कि यह बंगला सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए निर्धारित कोर्ट हाउसिंग पूल में फिर से शामिल हो सके।
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हुए थे, और सरकारी नियमों के अनुसार उन्हें रिटायरमेंट के बाद केवल 6 महीने तक Type-VII बंगले में किराया-मुक्त रहने की अनुमति है। लेकिन आठ महीने बीत जाने के बाद भी वे Type-VIII बंगले में ही डटे हुए हैं, जो केवल कार्यरत चीफ जस्टिस के लिए आरक्षित होता है।
सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों को नहीं मिला बंगला, एक स्टेट गेस्ट हाउस में रहने को मजबूर
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के 33 जजों में से 4 जजों को अब तक कोई सरकारी बंगला नहीं मिला है। इनमें से तीन ट्रांजिट अपार्टमेंट में और एक जज स्टेट गेस्ट हाउस में रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक यह बंगला पूर्व CJI से वापस नहीं लिया जाता, तब तक जजों की आवास समस्या बनी रहेगी।
क्यों नहीं बदला गया बंगला?
पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को रिटायरमेंट के बाद टाइप VIII से टाइप VII बंगले में शिफ्ट होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दिलचस्प बात यह है कि उनके बाद पद संभालने वाले दो चीफ जस्टिस – न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और मौजूदा CJI बीआर गवई – दोनों ने यह बंगला नहीं लिया, और अपने पुराने आवासों में ही रहना पसंद किया। इस स्थिति ने चंद्रचूड़ को उसी बंगले में बने रहने की अनकही छूट दे दी – जो अब सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन के लिए असहज स्थिति बन गई है।
नियमों का उल्लंघन या व्यवस्थागत खामियां?
सरकारी नियमों के तहत कोई भी रिटायर्ड CJI या जज Type VIII जैसे प्रीमियम बंगलों में 6 महीने से ज्यादा नहीं रह सकता, और उसके बाद उन्हें टाइप VII बंगले में स्थानांतरित होना होता है – वह भी यदि सरकार उसे मंजूरी दे। सवाल उठ रहा है कि क्या पूर्व CJI को अब तक टाइप VII बंगला आवंटित नहीं किया गया या उन्होंने खुद इस नियम को नजरअंदाज किया?