जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस प्रशासन ने जनसेवा की नई मिसाल पेश की है। यहां के 46 थानों और पुलिस कैंपों को अब ‘एकल सुविधा केंद्र’ के रूप में विकसित किया गया है। इन केंद्रों के ज़रिए ग्रामीणों को ‘ऑपरेशन पहचान’ अभियान के तहत आधार कार्ड, आयुष्मान भारत योजना, वृद्धावस्था पेंशन, जाति प्रमाण पत्र, वनाधिकार पट्टा जैसे दस्तावेज और योजनाओं का सीधा लाभ दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को सीएम हाउस में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में इस ‘बालाघाट मॉडल’ को प्रदेश के सभी 89 आदिवासी ब्लॉक्स में लागू करने के निर्देश दिए हैं। यह बैठक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की शीर्ष कार्यकारी समिति के साथ वन अधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित की गई थी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि 31 दिसंबर 2025 तक सभी गांवों के वनाधिकार दावे प्राप्त कर उन्हें निराकृत कर दिया जाए। वहीं 15 अगस्त तक वन अधिकारियों की ट्रेनिंग भी पूरी करने के लिए कहा गया है। सीएम ने कहा कि जरूरत पड़ने पर नया तकनीकी पोर्टल भी विकसित किया जाए ताकि दावा प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेसा एक्ट के तहत ग्राम सभाओं को अधिकार दिए जाएं कि वे पेसा मोबिलाइजर्स की नियुक्ति करें और असंतोषजनक प्रदर्शन पर उन्हें हटा भी सकें। इससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए मिलने वाले पेसा फंड को व्यय करने का भी अधिकार ग्राम सभाओं को ही रहेगा। सीएम ने कहा कि सभी विधायकों द्वारा बनाए गए विजन डॉक्यूमेंट में पेसा कानून और वनाधिकार अधिनियम की योजनाओं को शामिल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी बच्चों और युवाओं के लिए विशेष सम्मेलन आयोजित किए जाएं, ताकि उन्हें लाभकारी योजनाओं की जानकारी दी जा सके और सरकार फीडबैक भी ले सके।
मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए कि वन क्षेत्रों में बसे सभी गांवों के लिए एक्शन प्लान तैयार कर विकास के प्रस्ताव बनाए जाएं। विशेषकर वंचित और पिछड़े जनजातीय समुदायों तक सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्राथमिकता से पहुंचाई जाएं।
बता दें, बालाघाट में इस पहल की नींव साल 2022 में ही रख दी गई थी, जब वहां के एसपी आदित्य मिश्रा ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की पुलिस चौकियों को एकल सुविधा केंद्रों में बदलने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीणों को वनाधिकार पट्टों के आवेदन, जाति प्रमाण पत्र, और अन्य योजनाओं के लाभ दिलाए जाने लगे। हालांकि बीच में उनका तबादला हो गया, लेकिन इस वर्ष जब वे दोबारा बालाघाट के एसपी बने, तो जून से उन्होंने इस मुहिम को फिर से तेज़ कर दिया। इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए हर पुलिस चौकी में 4-5 पुलिसकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें अन्य विभागों के अधिकारियों से सीधे समन्वय करने के लिए फोन नंबर मुहैया कराए गए ताकि किसी भी ग्रामीण को आवेदन या दस्तावेज बनाने में दिक्कत आए, तो तुरंत समाधान हो सके।