7 घंटे का सफर अब सिर्फ 3 घंटे में, मिजोरम को मिली रेलवे कनेक्टिविटी की सौगात; पीएम मोदी करेंगे 8071 करोड़ की परियोजना का उद्घाटन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मिजोरम की राजधानी आइजोल पहली बार भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के तीसरे सप्ताह में 8071 करोड़ रुपए की लागत से बनी 51.38 किलोमीटर लंबी बैरबी–सायरंग रेल परियोजना का उद्घाटन करेंगे। यह न केवल मिजोरम के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कनेक्टिविटी से जोड़ने की दिशा में भी बड़ा कदम साबित होगी।

रेल लाइन की खासियत

रेल मंत्रालय के अनुसार यह परियोजना देश की सबसे दुर्गम रेल परियोजनाओं में से एक है।

  • कुल लंबाई: 51.38 किलोमीटर

  • कुल लागत: 8071 करोड़ रुपए

  • स्टेशन: बैरबी, हरतकी, काँगपुरई, मुअलखांग और सायरंग

  • बड़े पुल: 55

  • छोटे पुल: 87

  • सुरंगें: 48 (कुल लंबाई 38 किमी से अधिक)

  • सबसे ऊंचा पुल: ब्रिज नंबर 144 (114 मीटर ऊंचा), जो कुतुब मीनार से करीब 42 मीटर ज्यादा ऊंचा है।

यह परियोजना पूरी तरह पहाड़ी और घने जंगलों वाले क्षेत्र से होकर गुजरती है, जिसके चलते निर्माण कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा।

2014 में रखी गई थी नींव

बैरबी-सायरंग रेल लाइन का काम 29 नवंबर 2014 को शुरू हुआ था। इससे पहले मिजोरम का कनेक्शन केवल बैरबी (सिलचर, असम) तक ही था। राजधानी आइजोल को जोड़ने के लिए बैरबी से सायरंग तक नई लाइन बिछाई गई। अंतिम सेक्शन हरतकी-सायरंग का काम 10 जून 2025 को पूरा हुआ।

निर्माण के दौरान रेल अधिकारियों ने बताया कि यहां तक सामान पहुंचाने के लिए 200 किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क अलग से तैयार करना पड़ा। मजदूरों को बिहार, बंगाल और असम से लाकर 11 साल तक लगातार काम करवाया गया।

रेल परियोजना से मिलने वाले फायदे

इस रेल मार्ग के बन जाने से मिजोरम और पूरे पूर्वोत्तर को कई आर्थिक और सामाजिक फायदे होंगे।

  • व्यापार: माल ढुलाई सस्ती होगी और सामान आसानी से बाजारों तक पहुंचेगा।

  • कृषि व बागवानी: मिजोरम के संतरे, अदरक और बांस जैसे उत्पाद अब देशभर में भेजना आसान होगा।

  • पर्यटन: पहाड़ी सौंदर्य और स्थानीय संस्कृति देखने के लिए पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

  • शिक्षा व स्वास्थ्य: बड़े शहरों तक छात्रों और मरीजों की पहुंच आसान होगी।

  • रोज़गार: पर्यटन और व्यापार बढ़ने से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।

अब यात्रा होगी आसान और सुरक्षित

पहले सिलचर से आइजोल तक सड़क मार्ग से सफर में 7 घंटे लगते थे, जबकि अब रेल से यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में तय होगी। गुवाहाटी तक 12 घंटे और दिल्ली तक करीब 48 घंटे में पहुंचना संभव होगा।

बरसात के दिनों में भूस्खलन और सड़कों के बंद होने की समस्या के मुकाबले रेल यात्रा कहीं ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद होगी।

म्यांमार बॉर्डर तक बढ़ेगा रेल मार्ग

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि यह परियोजना सिर्फ मिजोरम तक सीमित नहीं रहेगी। रेलवे इस रेल लाइन को म्यांमार बॉर्डर तक ले जाने की योजना पर काम कर रहा है। बहुत जल्द सर्वे पूरा कर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) केंद्र को सौंपी जाएगी।

शुरुआत में चलेंगी 2-3 ट्रेनें

शुरुआत में 2 से 3 ट्रेनें चलाने की योजना है, जिसमें गुवाहाटी और दिल्ली तक की ट्रेनों को प्राथमिकता मिलेगी। मिजोरम सरकार ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में यहां राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत ट्रेनें भी चलाई जाएंगी।

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