जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्य प्रदेश में पुलिस मुख्यालय ने बीते सात महीनों के अपराधों की समीक्षा कर आंकड़े जारी किए हैं, जिसके मुताबिक प्रदेश में इस साल अपराधों में कमी आई है।
बता दें, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) की तरफ से जो आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए हैं, उनके मुताबिक, साल 2023 और 2024 के 1 जनवरी से 31 जुलाई तक के अपराधों की तुलना में 2024 में IPC (भारतीय दंड संहिता) और BNS (विशेष एवं स्थानीय कानून) के तहत होने वाले अपराधों में कमी दर्ज की गई है। पुलिस की तरफ से पेश किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के खिलाफ होने वाले गंभीर अपराधों में भी गिरावट आई है।
आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में डकैती 51%, लूट 23% कम, महिला अपराध 8 प्रतिशत कमी आई है। जनवरी से जुलाई तक का अपराधों का लेखाजोखा प्रस्तुत किया गया है और इसमें सामने आया है कि 2023 के मुकाबले 2024 में कुल अपराध 3.53 फीसदी घटे हैं। 2023 में इस अवधि में प्रदेश में 1,89,178 अपराध घटित हुए थे वहीं इस वर्ष 1,82,714 अपराध घटित हुए जो पिछले साल से 6,464 कम हैं।
सबसे ज्यादा 51.56 फीसदी की कमी डकैती जैसे गंभीर अपराध में आई है। लूट 23.22%, नकबजनी 9.53%, सामान्य चोरी 6.51% और हत्या के मामले 7.15% घटे हैं। महिलाओं से संबंधित अपराध 7.91% घटे हैं और गैंगरेप के मामले 19.01% कम हुए हैं। छेड़छाड़ के अपराध 9.85% और क्रूरता व दहेज प्रताड़ना के अपराध 3.23% कम हुए हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ होने वाले गंभीर अपराधों में 22.04 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले वर्ष इस अवधि में 4033 अपराध कुल घटित हुए थे और 2024 में यह घटकर 3144 रह गए हैं। इसी प्रकार एससी-एसटी के हॉटस्पॉट में भी कमी आई है, 14% घटे पॉक्सो के अपराध कम हुए हैं। दुष्कर्म के मामलों में 10.22 फीसदी की कमी आई है।
वहीं, SCRB के इन आंकड़ों के बाद प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि ये अपराध की कमी के आंकड़े नहीं, ‘झूठी’ कांग्रेस के मुंह पर ‘तमाचा’ है। एक्स पर उन्होंने लिखा है कि ‘यूं तो प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, परंतु जब कांग्रेस के जीतू पटवार, उमंग सिंघार, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे जिम्मेदार नेता, प्रदेश की जनता को भ्रमित और मध्यप्रदेश को बदनाम करते हैं। झूठ, फरेब और पाखंड की राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं तब ऐसे आंकड़े कांग्रेस के इन भ्रष्टाचारी नेताओं की आंखों से पट्टियां हटाते हैं। प्रदेश में जनहितैषी, गरीब कल्याण का उद्देश्य लेकर चलने वाली ‘मोहन’ सरकार कानून का पालन करने और करवाने के लिए जितनी सख्त है, उतनी संवेदनशील भी। यही कारण है कि लगातार अपराध से जुड़े मामले कम होते जा रहे हैं। मध्यप्रदेश को बदनाम करने का असफल प्रयास करने वाली कांग्रेस देख लें, यह तो भाजपा की मोहन सरकार का सिर्फ एक ट्रेलर है, जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाली भाजपा सरकार के विकास की कहानी तो अभी बाकी है।’