जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बिहार के सीतामढ़ी ज़िले में स्थित पुनौराधाम एक बार फिर राष्ट्रीय चर्चाओं में है, जहां मां जानकी के भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गई। इस मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी इसे एक महत्वपूर्ण घटना बना दिया। 50 एकड़ भूमि में 882 करोड़ की लागत से बनने वाला यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का नया केंद्र बनकर उभरेगा।
मंदिर निर्माण का कार्य अयोध्या के श्रीराम मंदिर के प्रमुख वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा और उनके परिवार की देखरेख में हो रहा है। मंदिर की ऊंचाई 156 फीट होगी और इसका निर्माण राजस्थान से लाए जा रहे लाल बलुआ पत्थरों से किया जाएगा। पूरी संरचना पारंपरिक शैली में बनेगी, जिसमें मधुबनी चित्रकला, नेपाल की वास्तुकला, जालीदार खिड़कियां, रंगीन कांच और धार्मिक नक्काशियां प्रमुख आकर्षण होंगी। मंदिर परिसर में सीता माता की प्रतिमा, पूजा स्थल, हवन मंडप और विवाह मंडप भी होंगे, जिन्हें लेकर यह मान्यता है कि यहीं माता सीता और भगवान राम का स्वयंवर संपन्न हुआ था।
इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने मंदिर निर्माण में केंद्र सरकार की भूमिका और प्रतिबद्धता को दोहराया। साथ ही उन्होंने सीमाओं की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा और चुनावी मुद्दों पर भी विपक्ष को घेरा। SIR (सिटिजनशिप एंड इलेक्टोरल रिफॉर्म) को लेकर लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए उन्होंने घुसपैठियों को वोटर लिस्ट से हटाने की पैरवी की। वहीं, ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर सरकार की सख्त नीति को रेखांकित करते हुए कहा कि अब देश में कोई भी बाहरी ताकत आंख उठाकर नहीं देख सकती।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंच से पुराने शासन पर निशाना साधते हुए अपने विकास कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि राज्य में बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर सरकार का फोकस जारी रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में नई योजनाओं को स्वीकृति दी गई है और जनता के हित में व्यापक कार्य किए जा रहे हैं।
इस आयोजन का धार्मिक पक्ष जितना भव्य था, उसका सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी उतना ही गहरा है। पुनौराधाम को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है, जहां मिथिला नरेश जनक को खेत जोतते समय एक घड़े में सीता जी प्राप्त हुई थीं। यह स्थान रामायण सर्किट का महत्वपूर्ण हिस्सा है और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लगातार विकसित किया जा रहा है।
जानकी मंदिर की नींव न सिर्फ एक धार्मिक संरचना की शुरुआत है, बल्कि यह राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत और मिथिला की गौरवगाथा को विश्वपटल पर स्थापित करने का भी एक सशक्त प्रयास है। मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह स्थल रामनवमी, सीता नवमी और अन्य प्रमुख त्योहारों पर लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थक्षेत्र बन जाएगा।