जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मंगलवार का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है। ऐसे इसलिए क्योंकि आज पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए केंद्र सरकार, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच त्रिस्तरीय मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (MOA) पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस परियोजना के तहत 72 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जो मध्यप्रदेश और राजस्थान के जल संसाधन को संजीवनी देगी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में राजस्थान के जयपुर में यह एग्रीमेंट हुआ। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी)-ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने 46 हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। वहीं, इस कार्यक्रम में फरवरी 2024 में हुए राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना के समझौते को पहली बार सार्वजनिक किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना के मेमोरेंडम का प्रारूप मंच पर प्रस्तुत किया। साथ ही तीनों नदियों के पानी से भरे घड़ों को पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना से लिखे घड़े में मिलाया गया।
इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रधानमंत्री के सामने अपनी सरकार के एक वर्ष के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। वहीं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ईआरसीपी परियोजना का झगड़ा पिछले 20 सालों से चल रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह विवाद समाप्त हुआ और दोनों राज्यों को जल की यह सौगात मिली है।
बता दें, यह त्रिपक्षीय समझौता पिछले 20 वर्षों से लंबित था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्र सरकार के सहयोग से अब यह परियोजना हकीकत में बदलने जा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से मध्यप्रदेश के श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़ और सीहोर सहित कुल 13 जिलों को लाभ मिलेगा। साथ ही राजस्थान के कई जिलों में जल आपूर्ति और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ावा मिलेगा। खास बात यह है कि इस योजना में 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत खर्च राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाएगा।