जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल गैस त्रासदी के ज़हरीले कचरे से आखिरकार मध्य प्रदेश को छुटकारा मिलने जा रहा है! जबलपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन चरणों में ट्रायल रन करने की अनुमति दे दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित होगी, या फिर एक और पर्यावरणीय खतरा जन्म लेगा?
दरअसल, भोपाल गैस त्रासदी की जहरीली विरासत से निपटने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में अपनी कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसमें बताया गया है कि 30 मेट्रिक टन ज़हरीले कचरे के निस्तारण की योजना बनाई गई है। सरकार के मुताबिक, तीन चरणों में जहरीले कचरे का निस्तारण होगा:
- 27 फरवरी 2025 – 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा।
- 4 मार्च 2025 – 180 किलो वेस्ट प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा।
- अंतिम चरण – 270 किलो वेस्ट प्रति घंटा कचरे का निस्तारण होगा।
इतना ही नहीं, हर चरण की निगरानी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) करेगा, ताकि यह तय किया जा सके कि कोई पर्यावरणीय खतरा न पैदा हो । बता दें, राज्य सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि 27 मार्च 2025 तक परीक्षणों की अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी। लेकिन सवाल यह है – क्या हाईकोर्ट इस प्रक्रिया को मंजूरी देगा? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जबलपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन चरणों में ट्रायल रन करने की अनुमति दे दी है।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, पहला ट्रायल रन 27 फरवरी को, दूसरा 4 मार्च को और तीसरा 27 मार्च को होगा। इस पूरी प्रक्रिया पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की पैनी नजर रहेगी। बता दें, कोर्ट ने इस प्रक्रिया की निगरानी के निर्देश देते हुए 27 मार्च तक ट्रायल रन की पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश राज्य सरकार को दिए। लेकिन जनता का सवाल अब भी बरकरार है – क्या यह जहरीला कचरा वाकई सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकेगा, या यह एक और तबाही का सबब बनेगा?
जानकारी के लिए बता दें, 1 जनवरी की रात, जब शहर गहरी नींद में था, तब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से यह जानलेवा कचरा गुपचुप तरीके से 10 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर भेज दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया को ‘गुप्त ऑपरेशन’ की तरह अंजाम दिया गया ताकि जनता को भनक तक न लगे। लेकिन जब लोगों को इसकी जानकारी मिली, तो शहर में हंगामा मच गया। 4 जनवरी को पीथमपुर के तारपुरा गांव में हजारों की संख्या में लोग रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज के बाहर जमा हो गए। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि फैक्ट्री पर पथराव किया गया, जिससे कई वाहनों के कांच टूट गए। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया और भीड़ को तितर-बितर किया। इस दौरान आत्मदाह की कोशिश में दो युवक झुलस गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन इस विरोध के बीच हाईकोर्ट ने तीन चरणों में ट्रायल रन को हरी झंडी दे दी है।
हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि – पर्यावरणीय मानकों का पूरी तरह से पालन करना होगा। अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई, तो सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही मीडिया को झूठी खबरें फैलाने से रोका जाए। वहीं, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 27 मार्च तक पूरी रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं।
बता दें, यूनियन कार्बाइड का यह कचरा उसी जहरीली गैस त्रासदी का हिस्सा है, जिसने 1984 में भोपाल में 15,000 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी। इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) सहित कई घातक रसायन मौजूद हैं, जो हवा, पानी और मिट्टी को स्थायी रूप से दूषित कर सकते हैं।