मोदी कैबिनेट की बड़ी सौगात: ₹18,541 करोड़ के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी, सेमीकंडक्टर से लेकर मेट्रो और हाइड्रो पावर तक शामिल; ओडिशा, आंध्र और पंजाब में ₹4,594 करोड़ से 4 नए सेमीकंडक्टर प्लांट लगेंगे

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में देश के बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, परिवहन और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को मजबूती देने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी कि इस बार कुल 18,541 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें से कई का सीधा असर औद्योगिक विकास, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और शहरी परिवहन पर पड़ेगा।

सबसे अहम घोषणा 4 नए सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स की रही, जिनकी स्थापना ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पंजाब में की जाएगी। इन परियोजनाओं में 4,594 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। मंत्री वैष्णव के अनुसार, देश में पहले से ही 6 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति मिल चुकी है और नए प्रोजेक्ट्स के साथ भारत की चिप निर्माण क्षमता को एक नई दिशा मिलेगी। इसका उद्देश्य न केवल घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की निर्भरता कम करना है, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना भी है।

बैठक में लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के फेस-1बी को भी हरी झंडी मिली। 11.165 किलोमीटर लंबे इस खंड में 12 मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे और इसके लिए 5,801 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। मंत्री वैष्णव ने कहा कि लखनऊ में यातायात दबाव और बढ़ती आबादी को देखते हुए मेट्रो का विस्तार जरूरी है, जो शहर में तेज और स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन विकल्प प्रदान करेगा।

स्वच्छ ऊर्जा के मोर्चे पर, अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में 700 मेगावाट की टाटो-II हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस प्रोजेक्ट में 8,146 करोड़ रुपये का निवेश होगा और यह उत्तर-पूर्व में ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को भी गति देगा। सरकार का मानना है कि इस तरह की परियोजनाएं भारत की ‘नेट-जीरो’ लक्ष्यों की ओर महत्वपूर्ण कदम हैं।

यह कैबिनेट बैठक हालिया महीनों में हुई कई अहम बैठकों की कड़ी में थी। 8 अगस्त को हुई बैठक में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 2025-26 तक सब्सिडी जारी रखने का फैसला लिया गया था, जिसके लिए 12,060 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। साथ ही, घरेलू एलपीजी पर घाटे की भरपाई के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को 30,000 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का निर्णय हुआ था। उस बैठक में असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज और तमिलनाडु में मरकानम–पुडुचेरी चार-लेन हाईवे के निर्माण को भी मंजूरी दी गई थी।

31 जुलाई को हुई बैठक में कृषि और खाद्य सुरक्षा से जुड़े दो महत्वपूर्ण फैसलों के साथ-साथ पूर्वोत्तर में रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने वाले चार प्रोजेक्ट्स पर सहमति बनी थी। वहीं 16 जुलाई को कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य 100 कम उत्पादन वाले जिलों में किसानों की पैदावार और आय बढ़ाना है। इस योजना में आधुनिक भंडारण, फसल विविधता और किफायती ऋण जैसी सुविधाएं देने का लक्ष्य रखा गया है।

सरकार ने हाल में ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी बड़े वित्तीय पैकेज स्वीकृत किए हैं। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट कॉर्पोरेशन को 20,000 करोड़ रुपये का स्पेशल फंड दिया गया है, जिसका इस्तेमाल सौर, पवन और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स में होगा। वहीं, नेशनल क्लीन इन्वेस्टमेंट लिमिटेड को 7,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी देकर क्लीन टेक्नोलॉजी, बैटरी स्टोरेज और स्मार्ट ग्रिड जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने की योजना है।

इन हालिया फैसलों से साफ है कि केंद्र सरकार एक साथ औद्योगिक आत्मनिर्भरता, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता पर फोकस कर रही है। आने वाले महीनों में इन प्रोजेक्ट्स का ज़मीनी क्रियान्वयन भारत की विकास गति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उसकी स्थिति को तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।

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