जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल सहित देश के कई शहरों में मंगलवार से आयकर विभाग की विशेष कार्रवाई जारी है। राजधानी स्थित साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड (SHMPL) पर पड़े छापों में करोड़ों की टैक्स चोरी, बोगस बिलिंग और विदेशी सप्लाई नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। विभाग की टीमों ने अब तक एक करोड़ रुपए से अधिक नकदी जब्त की है और 20 बैंक लॉकर सील किए गए हैं।
संचालकों और परिजनों पर जांच की आंच
जांच एजेंसियां कंपनी के संचालक जितेंद्र तिवारी और उनके परिजनों के बैंक खातों की गहराई से पड़ताल कर रही हैं। जिन खातों में बड़ी रकम जमा हुई है, उनके स्रोत का पता लगाया जा रहा है। नकदी और ज्वेलरी की जांच के लिए बैंक अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया। आयकर विभाग की योजना है कि प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) को सौंपी जाएगी और उसके आधार पर संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जाएगी।
कई शहरों में 30 से अधिक ठिकानों पर छापेz
यह सर्च ऑपरेशन सिर्फ भोपाल तक सीमित नहीं रहा। मंगलवार को विभाग ने भोपाल, इंदौर और मुंबई सहित 30 से अधिक ठिकानों पर एक साथ दबिश दी। सूत्रों का कहना है कि विभाग के पास पहले से इस नेटवर्क की विस्तृत जानकारी थी और लंबे समय से निगरानी की जा रही थी। बुधवार को भी कार्रवाई जारी है और नए खुलासों की संभावना बनी हुई है।
राजेश गुप्ता के ठिकानों से विदेशी कारोबार का सुराग
आयकर विभाग की टीमें मेडिकल-सर्जिकल उपकरणों के कारोबारी राजेश गुप्ता के यहां भी तलाशी ले रही हैं। उनके लालघाटी स्थित घर से मिले दस्तावेजों से विदेशी कारोबार और संस्थाओं से जुड़ी जानकारियां सामने आई हैं। माना जा रहा है कि इस पहलू को देखते हुए अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की एंट्री भी तय है। जांच में यह भी सामने आया है कि जितेंद्र तिवारी और राजेश गुप्ता ने अवैध आय को रियल एस्टेट कारोबार में निवेश किया।
शैल कंपनियों के जरिए फर्जी बिलिंग
जांच में खुलासा हुआ कि तिवारी और उनके परिजन कई शैल कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इन कंपनियों के नाम पर बोगस बिलिंग की जाती थी। फर्जी सप्लाई दिखाकर बड़ी रकम का भुगतान लिया जाता था। यही नहीं, इनके जरिए टैक्स चोरी और हवाला जैसे लेन-देन भी किए जाने के संकेत मिले हैं।
रिटायर्ड आईएएस अफसरों से कनेक्शन
इस नेटवर्क के तार नौकरशाही से भी जुड़े मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि कुछ रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों के जरिए इन कारोबारियों को नियम विरुद्ध सप्लाई ऑर्डर दिलाए जाते थे। स्वास्थ्य विभाग के कुछ अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है और उनकी गतिविधियां जांच के दायरे में लाई जा रही हैं।
पूर्व डीजी ने तैयार की थी प्लानिंग
खबर यह भी है कि इस बड़े ऑपरेशन की रूपरेखा आयकर विभाग के पूर्व डीजी इन्वेस्टिगेशन ने तैयार की थी। हालांकि उनके तबादले से पहले कार्रवाई नहीं हो पाई। वर्तमान डीजी इन्वेस्टिगेशन बिजॉय कुमार पांडा ने पदभार संभालने के बाद इसी फाइल को प्राथमिकता दी और तत्काल छापेमारी शुरू करवाई।
आगे की राह
इस जांच से टैक्स चोरी, हवाला और विदेशी लेन-देन का बड़ा जाल सामने आने की संभावना है। शुरुआती बरामदगी और दस्तावेजों ने विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अब सभी पहलुओं की पड़ताल कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। सूत्रों का मानना है कि आयकर विभाग के बाद ईडी और अन्य एजेंसियां भी इस मामले में सक्रिय होंगी।