जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
12 जून 2025 की सुबह भारत के एविएशन इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज हो गई, जब अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ ही देर बाद क्रैश हो गई। यह हादसा इतना भीषण था कि इसमें विमान में सवार 241 लोगों में से 240 की मौत हो गई, जबकि कुल मृतकों की संख्या 275 तक जा पहुंची। विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की इमारत से टकराया, जिससे मेडिकल स्टूडेंट्स की इमारतें भी चपेट में आ गईं। इस भयानक हादसे का एक नया वीडियो भी सामने आया है, जिसमें छात्र-छात्राएं आग की लपटों के बीच हॉस्टल की ऊपरी मंजिलों से चादरों के सहारे जान बचाते दिख रहे हैं।
हादसे के कारणों की जांच अभी भी जारी है और विमान से मिले दो ब्लैक बॉक्स (CVR और DFDR) की फॉरेंसिक जांच दिल्ली स्थित नई DFDR & CVR लैब में की जाएगी। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन ब्लैक बॉक्सों को विदेश भेजने का कोई तत्काल निर्णय नहीं लिया गया है। जांच का जिम्मा एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के पास है, जो सभी सुरक्षा, गोपनीयता और तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए फैसला करेगा। इसके अलावा गृह सचिव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित की गई है, जो तीन माह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी।
वहीं, एअर इंडिया के CEO कैम्पबेल विल्सन ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान पूरी तरह से तकनीकी रूप से दुरुस्त था। उन्होंने कहा कि विमान की बड़ी जांच जून 2023 में हो चुकी थी और अगली जांच दिसंबर 2025 में निर्धारित थी। बावजूद इसके, हादसे के कारणों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसे केवल गहराई से जांच कर ही स्पष्ट किया जा सकता है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया कि हादसे में 211 मृतकों की पहचान DNA टेस्ट से की जा चुकी है और 189 शव परिवारों को सौंपे जा चुके हैं। इसमें 131 भारतीय, 4 पुर्तगाली, 30 ब्रिटिश, 1 कनाडाई और 6 गैर-यात्री शामिल हैं।
एअर इंडिया ने हादसे के बाद 15% अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को जुलाई मध्य तक कम करने का फैसला किया है ताकि सभी वाइडबॉडी विमानों की तकनीकी जांच की जा सके। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में कोई तकनीकी चूक न हो और कंपनी के पास इमरजेंसी रिजर्व विमानों की उपलब्धता बनी रहे। यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानें या पूरा रिफंड देने की भी बात कही गई है। साथ ही टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने हादसे में मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घोषणा की है कि प्रत्येक मृतक के परिजन को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाएगी। साथ ही सभी घायलों का इलाज टाटा ग्रुप द्वारा कराया जाएगा। ग्रुप बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के पुनर्निर्माण में भी सहायता देगा।
गौरतलब है की घटना के वक्त जो दृश्य सामने आया वह बेहद भयावह था। हॉस्टल में रहने वाले छात्र-छात्राएं आग की लपटों में घिरे हुए थे। कई छात्र तीसरी-चौथी मंजिल से चादरों के सहारे नीचे उतरते नजर आए। वीडियो में दिख रहा है कि दोनों ओर आग लगी है और छात्र जान बचाने के लिए बिल्डिंग से कूद रहे हैं। यह हादसा सिर्फ एक तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन, विमान सुरक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानवीय संवेदनाओं की गहन परीक्षा भी है।
क्या है ‘ब्लैक बॉक्स’ ?
‘ब्लैक बॉक्स’ शब्द सुनते ही एक रहस्यमयी तकनीकी उपकरण की कल्पना होती है, लेकिन वास्तव में यह नारंगी रंग का होता है, ताकि मलबे के बीच आसानी से पहचान में आ सके। इसे प्लेन के टेल सेक्शन में रखा जाता है, जहां यह ज्यादा सुरक्षित रहता है। यह अत्यधिक तापमान, समुद्री दबाव और आग जैसी स्थितियों को झेलने में सक्षम होता है। अहमदाबाद हादसे में दोनों ब्लैक बॉक्स बरामद किए जा चुके हैं — एक 13 जून और दूसरा 16 जून को।