जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
सोमवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन रहा — जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। आज शाम देशभर में लाखों श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित किया। राजधानी भोपाल के सभी 52 घाटों समेत प्रदेश के कई जिलों में घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में बांस की टोकरी, सूप और दीप लेकर सूर्य देव की आराधना में लीन रहीं।
दिनभर व्रती महिलाएं छठ प्रसाद की तैयारी में जुटी रहीं। प्रसाद में ठेकुआ, चावल के लड्डू, सांचा और मौसमी फल प्रमुख रूप से शामिल किए गए। पूजा के समय बांस की टोकरी में सजे फलों, दीपों और ठेकुओं से सूर्य देव और छठी मैया का पूजन किया गया। शाम को जब सूर्य अस्त होने लगा, तो घाटों पर “छठ मइया के गीत” और “कांच ही बांस के बहंगिया” जैसे भजनों की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
सीएम मोहन यादव ने भी दिया अर्घ्य
इंदौर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अपनी धर्मपत्नी के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। उन्होंने इस अवसर पर पूर्वांचल और उत्तर भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को सलाम करते हुए कहा — “छठ सिर्फ एक पूजा नहीं, यह भारतीय संस्कृति की गहराई और मातृशक्ति की तपस्या का प्रतीक है।”
मुख्यमंत्री ने इंदौर में आयोजित ‘लोकोत्सव कार्यक्रम’ में शामिल होकर श्रद्धालुओं को छठ पर्व की शुभकामनाएं दीं।
मंत्री विश्वास सारंग पहुंचे पटना
वहीं, प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग बिहार प्रवास के दौरान पटना के पाटीपुल घाट पहुंचे। उन्होंने गंगा तट पर व्रतियों के साथ संध्या अर्घ्य अर्पित किया और वहां की पारंपरिक पूजा में भाग लिया। यह प्रवास बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ पूरा होगा व्रत
छठ पर्व का समापन मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त होगा। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं ‘पारण’ करेंगी, जिसमें छठ का प्रसाद और सादा भोजन — चावल, दाल, साग, पापड़, चटनी और पकौड़ी — परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है।
दुनियाभर में गूंजा छठ का पर्व
इस वर्ष छठ का उत्सव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, भोपाल और लखनऊ के अलावा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फिजी, सूरीनाम, मॉरिशस और त्रिनिदाद-टोबैगो में बसे भारतीयों ने भी पारंपरिक रीति से सूर्य उपासना की। वहां के घाटों, पार्कों और नदी किनारों पर प्रवासी भारतीयों ने सामूहिक रूप से छठ पूजा का आयोजन किया।
क्या है छठ का महत्व?
छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की आराधना का पर्व है। इसे प्रकृति, जल, वायु और सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि छठी मैया संतान की दीर्घायु, परिवार की समृद्धि और आरोग्यता का वरदान देती हैं।