भारत में फिर बढ़ा कोरोना का खतरा: 15 राज्यों में 564 नए केस, 7 की मौत; देश में एक्टिव केस 4800 के पार, 4 नए वैरिएंट की पुष्टि से बढ़ी चिंता!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

देश में कोरोना वायरस एक बार फिर रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। बुधवार को सामने आए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 15 राज्यों में कुल 564 नए कोविड-19 मरीजों की पुष्टि हुई है। चिंता की बात यह है कि इनमें से 437 मामले सिर्फ चार राज्यों – केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली – से सामने आए हैं। केरल में 114, कर्नाटक में 112, पश्चिम बंगाल में 106 और दिल्ली में 105 केस मिले हैं। इस उछाल के साथ देश में एक्टिव मामलों की संख्या 4866 तक पहुंच गई है, जो हाल के महीनों में सबसे अधिक मानी जा रही है।

वहीं बुधवार को कोरोना संक्रमण से 7 लोगों की मौत भी हुई। महाराष्ट्र में 3, जबकि दिल्ली और कर्नाटक में 2-2 लोगों की जान गई। इसके साथ ही इस साल कोरोना से मरने वालों की संख्या 51 तक पहुंच चुकी है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले सालों की तुलना में कम है, लेकिन नए मामलों की रफ्तार और बढ़ते वैरिएंट्स ने विशेषज्ञों और सरकार दोनों की चिंता बढ़ा दी है।

बता दें,  देश में सबसे अधिक एक्टिव केस केरल में हैं, जहां राज्य सरकार ने बुधवार को नई गाइडलाइंस जारी की हैं। सभी अस्पतालों को मॉक ड्रिल के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा अब सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों वाले हर मरीज का कोविड टेस्ट जरूरी कर दिया गया है। अस्पतालों में बिना मास्क के एंट्री की अनुमति नहीं होगी। राज्य ने स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष सतर्कता बरतने को कहा है।

वहीं, केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच गुरुवार को देश के चुनिंदा अस्पतालों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का फैसला लिया है। इस मॉक ड्रिल में अस्पतालों की ऑक्सीजन सप्लाई, वेंटिलेटर की उपलब्धता, मेडिकल स्टाफ की तैयारियों और आवश्यक दवाओं की स्थिति की जांच की जाएगी। इसके जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय यह परखेगा कि अगर देश में कोरोना की चौथी लहर आती है, तो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर उस चुनौती का सामना करने में कितना सक्षम है। इससे पहले 2 जून को भी एक प्रारंभिक मॉक ड्रिल हुई थी, जिसमें मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम, लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और PSA प्लांट्स पर ध्यान दिया गया था।

भारत में मिले 4 नए कोविड वैरिएंट

ICMR के डायरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने जानकारी दी है कि देश में कोरोना के चार नए वैरिएंट्स – LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 की पुष्टि हुई है। ये वैरिएंट मुख्य रूप से दक्षिण और पश्चिम भारत से सामने आए हैं। इनमें NB.1.8.1 वैरिएंट में A435S, V445H और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशंस हैं, जो इसे तेजी से फैलने और पहले से बनी इम्यूनिटी को चकमा देने में सक्षम बनाते हैं।

हालांकि, WHO ने इन वैरिएंट्स को फिलहाल ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ माना है, न कि ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’। इसका अर्थ है कि फिलहाल इनके लक्षण गंभीर नहीं हैं, लेकिन सतर्कता जरूरी है। यही वैरिएंट चीन समेत एशिया के अन्य देशों में कोविड के मामलों में देखे जा रहे हैं।

JN.1 बना भारत में सबसे आम वैरिएंट

भारत में फिलहाल JN.1 सबसे आम कोविड वैरिएंट बना हुआ है। आधे से ज्यादा कोरोना सैंपल्स में यही स्ट्रेन पाया जा रहा है। इसके बाद BA.2 और ओमिक्रॉन की सबलाइनेज भी देखी जा रही हैं। JN.1 दरअसल ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक म्यूटेटेड स्ट्रेन है, जिसमें करीब 30 तरह के जेनेटिक बदलाव हैं। यह इम्यूनिटी को कमजोर करता है और अन्य वैरिएंट्स की तुलना में तेज़ी से फैलता है।

डॉक्टरों के मुताबिक JN.1 के लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों से लेकर एक हफ्ते तक रहते हैं, लेकिन कुछ मामलों में ये ‘लॉन्ग कोविड’ में बदल सकते हैं। यानी मरीज के शरीर में वायरस के लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं, जिससे थकान, सांस लेने में परेशानी और मानसिक अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

सरकार और विशेषज्ञ दोनों ही लोगों से बार-बार यही अपील कर रहे हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहना जरूरी है। मास्क का इस्तेमाल, भीड़भाड़ से बचाव, हाथ धोने की आदत और लक्षण दिखने पर तत्काल टेस्ट – ये सभी सावधानियां एक बार फिर जरूरी हो गई हैं। कोरोना भले ही पिछली लहरों की तरह घातक रूप में सामने नहीं आ रहा, लेकिन उसका बार-बार लौटना यह बता रहा है कि वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है।

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