जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
बिहार की राजनीति में एक और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बाद अब राज्य के डिप्टी मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा पर भी दो अलग-अलग निर्वाचन पहचान पत्र (EPIC नंबर) रखने का आरोप सामने आया है। यह मामला सार्वजनिक होते ही राजनीतिक हलकों में गरमा गया है, और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दर्ज नाम
जानकारी के अनुसार, विजय सिन्हा का नाम लखीसराय और पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र – दोनों की मतदाता सूची में दर्ज है। दैनिक भास्कर द्वारा चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर किए गए रियलिटी चेक में भी यह बात सामने आई कि उनके नाम से दो EPIC नंबर सक्रिय हैं।
लखीसराय के कार्ड में EPIC नंबर IAF39393370, उम्र 57 वर्ष और पिता का नाम शारदा रमन सिंह दर्ज है, जबकि बांकीपुर के कार्ड में EPIC नंबर AFS0853341, उम्र 60 वर्ष और पिता का नाम स्व. शारदा रमन सिंह लिखा है। हैरानी की बात यह है कि दोनों कार्ड पर दर्ज पते भी अलग-अलग हैं, और इनमें से कोई भी उनके 2020 के एफिडेविट में बताए गए पते से मेल नहीं खाता।
तेजस्वी यादव का सीधा हमला
रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तेजस्वी यादव ने विजय सिन्हा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि या तो डिप्टी CM ने खुद दो जगह फर्जी तरीके से पंजीकरण कराया है या फिर चुनाव आयोग ने गंभीर गड़बड़ी की है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने दोनों EPIC नंबर आयोग की वेबसाइट पर दिखाए और कहा—
“अगर एक साधारण नागरिक के पास दो वोटर ID हों तो तुरंत कार्रवाई होती है, लेकिन सत्ता में बैठे नेताओं पर क्यों नहीं?”
तेजस्वी ने यह भी कहा कि आयोग को पारदर्शिता बनाए रखते हुए मामले की पूरी जांच करनी चाहिए।
कांग्रेस का आरोप – “चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर खतरा”
कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि डिप्टी CM ने दोनों क्षेत्रों से SIR फॉर्म भरा और नाम ड्राफ्ट लिस्ट में आ गया। कांग्रेस ने इसे चुनावी प्रक्रिया की साख पर हमला बताते हुए चुनाव आयोग से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
विजय सिन्हा का पक्ष – “नाम हटाने के लिए आवेदन दिया”
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि उन्होंने अप्रैल 2024 में लखीसराय में अपना नाम जुड़वाने और पटना से नाम हटाने का आवेदन एक साथ किया था। लेकिन, पटना से नाम नहीं हट पाया और ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में दोनों जगह नाम दर्ज हो गया।
उन्होंने दावा किया कि 5 अगस्त को BLO को नाम हटाने का आवेदन दिया गया है और जल्द ही यह समस्या खत्म हो जाएगी।
चुनाव आयोग की चुप्पी और विपक्ष का दबाव
मामले पर अभी तक चुनाव आयोग की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। वहीं, RJD, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत बता रहे हैं।
रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा—
“चुनाव आयोग को यह नहीं दिखेगा, क्योंकि मामला उन लोगों से जुड़ा है जिनके लिए आयोग की निष्ठा है।”
क्यों यह मामला गंभीर है?
चुनाव कानून के मुताबिक, एक व्यक्ति का नाम केवल एक विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज हो सकता है। दो EPIC नंबर होना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है। अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह चुनाव आयोग की निगरानी व्यवस्था की कमजोरी को भी उजागर करेगा।
आगे की राह
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले विधानसभा चुनावों के पहले एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इसे भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग बताकर जनता के बीच भुनाने की कोशिश करेगा, वहीं सत्ता पक्ष इस मामले को तकनीकी त्रुटि कहकर छोटा करने की कोशिश करेगा। फिलहाल, सभी की नजरें चुनाव आयोग पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या रुख अपनाता है—क्या यह केवल कागज़ी गलती है या किसी बड़ी गड़बड़ी का हिस्सा?