डिजिटल डिटॉक्स: क्या फोन से दूरी बनाना सच में मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है?

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में स्मार्टफोन हर किसी की दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। सुबह उठते ही सोशल मीडिया स्क्रॉल करने से लेकर रात को सोने से पहले तक लोग स्क्रीन से चिपके रहते हैं। ऑनलाइन गेम्स, वीडियो प्लेटफॉर्म और सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने हमारी सोच और जीवनशैली को गहराई तक प्रभावित किया है। अक्सर लोग यह महसूस ही नहीं कर पाते कि फोन और इंटरनेट का लगातार इस्तेमाल धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।

कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स में सामने आया है कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का अधिक उपयोग चिंता (Anxiety), तनाव (Stress), नींद की समस्या (Sleep Disorder), अकेलापन (Loneliness) और यहां तक कि डिप्रेशन (Depression) जैसी समस्याओं को जन्म देता है। कुछ मामलों में यह लत इतनी गहरी हो जाती है कि आत्महत्या जैसे गंभीर विचार तक आने लगते हैं। ऐसे में एक सवाल बार-बार उठता है कि क्या डिजिटल डिटॉक्स (Digital Detox) मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का असरदार उपाय हो सकता है?

विशेषज्ञों की राय क्या कहती है?

नई दिल्ली स्थित आर्टेमिस अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक और विभागाध्यक्ष डॉ. राहुल चंडोक बताते हैं कि डिजिटल डिटॉक्स सीधे तौर पर आत्महत्या के विचारों को कम नहीं करता, लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में बेहद सहायक है।

उनके अनुसार, लगातार तकनीक का इस्तेमाल तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं को गहराता है, जबकि जब व्यक्ति कुछ समय के लिए फोन और इंटरनेट से दूरी बनाता है, तो उसका मन शांत होता है, सामाजिक जुड़ाव बढ़ता है और आत्म-सम्मान (Self-Esteem) में सुधार आता है।

डॉ. चंडोक का कहना है कि, “डिजिटल डिटॉक्स को इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता, लेकिन यह मानसिक स्वास्थ्य सुधारने का एक सहायक उपाय है। गंभीर मानसिक विकार के मामलों में विशेषज्ञ की मदद लेना ही ज़रूरी है।”

डिजिटल डिटॉक्स क्यों है ज़रूरी?

  • तनाव और चिंता में कमी – लंबे समय तक स्क्रीन से दूर रहने से दिमाग को राहत मिलती है और नेगेटिव थॉट्स घटते हैं।

  • बेहतर नींद – खासतौर पर रात में मोबाइल इस्तेमाल न करने से नींद की गुणवत्ता सुधरती है।

  • संतुलित जीवनशैली – सोशल मीडिया पर समय गँवाने की बजाय व्यक्ति समय का बेहतर उपयोग कर सकता है।

  • आत्मसम्मान में वृद्धि – फोन से दूरी बनाकर इंसान नकारात्मक टिप्पणियों और वर्चुअल तुलना से बच सकता है।

  • सामाजिक रिश्ते मजबूत – वास्तविक जीवन में परिवार और दोस्तों से जुड़ने का अवसर मिलता है।

डिजिटल डिटॉक्स कैसे करें?

  • दिन में कुछ घंटे सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से दूरी बनाएं।

  • सुबह उठते ही और रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल न करें।

  • खाली समय में योग, ध्यान और प्राणायाम जैसे अभ्यास शामिल करें।

  • परिवार और करीबी दोस्तों के साथ समय बिताने की आदत डालें।

  • छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर धीरे-धीरे स्क्रीन टाइम कम करें।

आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में पूरी तरह फोन से दूरी बनाना संभव नहीं है, लेकिन सीमित और संतुलित उपयोग ज़रूर किया जा सकता है। डिजिटल डिटॉक्स अपनाने से व्यक्ति मानसिक रूप से हल्का महसूस करता है और जीवन में संतुलन वापस पा सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि यह केवल एक सहायक उपाय है। यदि किसी व्यक्ति में गंभीर डिप्रेशन या आत्महत्या के विचार जैसी समस्याएं हैं, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

डिस्क्लेमर:

इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से लिखी गई है। मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए हमेशा योग्य चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

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