60 करोड़ के ज़मीन बंटवारे ने ले ली 25 साल के युवक की जान! ग्वालियर में पंचायत बनी रणभूमि, 17.5 बीघा ज़मीन के लिए चली गोलियां; गांव में दहशत, चार थानों की पुलिस तैनात

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

ग्वालियर के गोकुलपुरा में 17.5 बीघा ज़मीन का बंटवारा इतना खूनी संघर्ष में बदल जाएगा, किसी ने सोचा भी नहीं था! 60 करोड़ की इस प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे विवाद ने बुधवार को ऐसी हिंसा का रूप लिया कि पंचायत की चौपाल गोलियों की आवाज़ से थर्रा उठी।

दरअसल, बुधवार दोपहर ज़मीन के बंटवारे को लेकर पंचायत बुलाई गई थी। पहले तो दोनों पक्षों के बीच बहस हुई, फिर अचानक बंदूकें चमक उठीं और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी और पंचायत रणभूमि में बदल गई। इस खूनी संघर्ष में पूर्व सरपंच के बेटे पुरुषोत्तम यादव की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि पांच अन्य घायल हो गए।

गुरुवार दोपहर पुलिस की मौजूदगी में युवक पुरुषोत्तम यादव का अंतिम संस्कार किया गया। यह घटनास्थल से करीब 200 मीटर दूर एक पेड़ के नीचे संपन्न हुआ, जिसमें परिवारजन, रिश्तेदार और गांव के सैकड़ों लोग मौजूद थे।

जानकारी के अनुसार, कुछ रिश्तेदारों ने दो पक्षों में दुश्मनी खत्म करने और विवाद को सुलझाने के लिए पंचायत बुलाई थी। लेकिन जब पंचम सिंह की पत्नी कमला यादव, उसके बेटे रामू यादव और परिवार के अन्य सदस्य हथियारों के साथ वहां पहुंचे, तो माहौल गरमा गया। फिर अचानक कमला के बेटे रामबरन, रामू, रणवीर और दिनेश ने पिस्तौल, माउजर और बंदूकों से फायरिंग कर दी। जवाब में हुकुम सिंह, शिवचरण, बालमुकुंद और पुरुषोत्तम ने भी हथियार संभाल लिए। देखते ही देखते गांव की चौपाल रणभूमि में तब्दील हो गई।

इस गोलीबारी में हुकुम सिंह के पक्ष से उनके भाई बालमुकुंद सिंह यादव, पूर्व सरपंच शिवचरण सिंह यादव, भतीजा पुरुषोत्तम सिंह यादव और धीरज यादव गोली लगने से घायल हो गए। जबकि आरोपी पक्ष से रामबरन यादव और दिनेश यादव घायल हो गए।

घटना की सूचना मिलते ही चार थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। घायलों को ग्वालियर के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने 25 वर्षीय पुरुषोत्तम यादव को मृत घोषित कर दिया।

60 करोड़ की ज़मीन बनी खूनी संघर्ष की वजह!

बता दें, यह पूरा विवाद 17.5 बीघा ज़मीन के बंटवारे को लेकर था, जिसकी वर्तमान कीमत करीब 60 करोड़ रुपए बताई जा रही है। 1989 में खरीदी गई ज़मीन पर हुकुम सिंह और पंचम सिंह के परिवारों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। यह जमीन 1989 में हुकुम सिंह के पिता मजबूत सिंह ने खरीदी थी। चूंकि हुकुम सिंह के छोटे भाई बालमुकुंद और बड़े भाई शिवचरण उस समय नाबालिग थे, इसलिए जमीन बड़े भाई पंचम सिंह यादव के नाम कर दी गई थी। बाद में, हुकुम सिंह, बालमुकुंद और शिवचरण ने 2000 में कोर्ट में केस दायर करके जमीन अपने नाम करवा ली। लेकिन 2018 में पंचायत की बैठक हुई, जिसमें जमीन का एक हिस्सा पंचम सिंह, शिवचरण और बालमुकुंद को मिला, जबकि दूसरा हिस्सा पंचम सिंह की पत्नी कमला यादव और उनके बेटे रामू व रामबरन यादव के नाम कर दिया गया। 2021 में कमला और उनके बेटों ने कथित तौर पर जाली दस्तावेज बनाकर सारी जमीन अपने नाम कर ली। मामला कोर्ट में गया, जहां 2021 में हुकुम सिंह के पक्ष में फैसला आया। लेकिन पंचम सिंह का परिवार मानने को तैयार नहीं था। इसलिए पंचायत बुलाकर मामला सुलझाने की कोशिश की गई, लेकिन सुलह के बजाय विवाद ने हिंसक रूप ले लिया।

वहीं, अब घटना के बाद गांव में खौफ और सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव की चौपाल जो हमेशा चहल-पहल से भरी रहती थी, अब वीरान नजर आ रही है। गांव में 25 से 30 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। पुलिस ने घटनास्थल से खाली कारतूस जब्त किए हैं और आरोपियों की तलाश जारी है।

बता दें, पुलिस ने दिसंबर में दोनों पक्षों को बाउंड ओवर (कानूनी पाबंदी) में लिया था और आपसी बातचीत से मामला सुलझाने की शर्त रखी थी। पुलिस और रिश्तेदारों ने 2 और 3 जनवरी को पंचायत आयोजित की थी, लेकिन उस समय दोनों परिवारों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी।

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