जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
क्या आपको लगता है कि सरकारी नौकरी पाने के लिए मेहनत और ईमानदारी ही सबसे सही तरीका है? लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मामले से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी हुई है। जी हाँ, इंदौर में एक गिरोह ने युवाओं को धोखा दिया और उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र दिए। आइए जानते हैं, कैसे यह गिरोह युवाओं को अपने जाल में फंसा रहा था?
ये मामला इंदौर का है, जहां एक गिरोह ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 128 युवाओं से ठगी की। इन युवाओं में से 60 को तो फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिए गए थे। हालांकि अब तक इस गिरोह के प्रमुख आरोपी अनिल रसेनिया को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन सवाल ये है, कि इस गिरोह ने कैसे इतनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया?
दरअसल, आरोपी अनिल रसेनिया और उसके साथियों ने सरकारी नौकरी के प्रोसीजर को पूरी तरह से समझा था। वे जानते थे कि सरकारी नौकरी कैसे मिलती है, ट्रेनिंग के क्या नियम हैं, और नियुक्ति पत्र कैसे जारी होते हैं। इस जानकारी का फायदा उठाकर उन्होंने युवाओं को फर्जी ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजारने के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिए।
लेकिन ये सब इतने आसानी से नहीं हुआ। आरोपियों ने सरकारी सील भी तैयार कर ली थी, ताकि दस्तावेज पर कोई शक न कर सके। इन दस्तावेजों पर लगी सील से युवाओं को भरोसा दिलाया जाता था। आरोपी युवक युवाओं को कनाडिया क्षेत्र में स्थित एचआर रिसोर्ट में दो से तीन दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करते थे। इसके बाद, युवाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र दे दिए जाते थे। लेकिन जब ये युवक नौकरी के लिए संबंधित विभागों में पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि उनके पास जो नियुक्ति पत्र था, वह पूरी तरह से फर्जी था!
आरोपियों ने 128 युवाओं से ठगी की। कुछ से डेढ़ लाख, कुछ से दो लाख, और कुछ से ढाई लाख रुपये तक की ठगी की गई। इनमें से 60 युवाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र दिए गए थे। यह गिरोह खासकर भिंड, मुरैना, ग्वालियर जैसे जिलों से युवाओं को निशाना बनाता था।
बता दें, युवाओं को जब इस ठगी का अहसास हुआ, तो उन्होंने पुलिस कमिश्नर से शिकायत की, और इसके बाद मामला सामने आया। डीसीपी क्राइम ब्रांच, राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि अनिल रसेनिया ने 2006 में एक छेड़छाड़ की घटना के बाद एक व्यक्ति की गला दबाकर हत्या की थी। हालांकि, उस मामले में उसे बरी कर दिया गया था, लेकिन उसके पास एक आपराधिक रिकॉर्ड है। वर्तमान में, पुलिस ने अनिल के दो सहयोगियों की खोज शुरू कर दी है। इनमें से एक साथी फर्जी मार्कशीट बनाने का कार्य करता था, जबकि दूसरा साथी फर्जी नियुक्ति पत्र और अन्य दस्तावेज तैयार करने में संलग्न था। पुलिस ने बताया कि इनके लैपटॉप से कई फर्जी नियुक्ति पत्र मिले हैं। आरोपी खुद ही इन नियुक्ति पत्रों को टाइप करके बनाते थे। पुलिस अब इन दोनों आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयास कर रही है, ताकि पूरे गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।