जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
द ओवल के ऐतिहासिक मैदान पर भारत ने टेस्ट क्रिकेट का एक और सुनहरा अध्याय जोड़ा। 5 मैचों की एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का पांचवां और निर्णायक टेस्ट भारत ने बेहद रोमांचक अंदाज़ में 6 रन से जीत लिया। इस जीत ने न सिर्फ सीरीज 2-2 से बराबर कर दी, बल्कि टेस्ट इतिहास के पन्नों में भी कई नए रिकॉर्ड दर्ज करवा दिए।
मैच के अंतिम दिन इंग्लैंड को जीत के लिए सिर्फ 35 रन चाहिए थे और उसके 4 विकेट शेष थे। मैदान पर इंग्लैंड की जीत लगभग तय मानी जा रही थी, लेकिन मोहम्मद सिराज की धारदार गेंदबाजी ने पूरा समीकरण ही पलट दिया। सिराज ने मात्र कुछ ओवरों में 3 विकेट लेकर मैच भारत की झोली में डाल दिया। आखिरी झटका उन्होंने गस एटकिंसन को बोल्ड कर दिया, जिसके साथ ही भारत ने 6 रन से यह टेस्ट जीत लिया।
इस मुकाबले की पहली पारी में भारत ने 224 रन बनाए थे, जिसके जवाब में इंग्लैंड ने 247 रन बनाकर 23 रन की बढ़त हासिल की थी। दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने जबरदस्त वापसी की और 396 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। इस तरह इंग्लैंड को 374 रन का टारगेट मिला। लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय इंग्लैंड ने 300 रन पर ही सिर्फ 3 विकेट खोए थे और जीत की ओर अग्रसर था, लेकिन हैरी ब्रूक की शतक के बाद आउट होने से मैच का रुख बदल गया।
इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने ऐसा दबाव बनाया कि इंग्लैंड की पूरी पारी 367 रन पर सिमट गई। मोहम्मद सिराज ने दूसरी पारी में 5 विकेट लिए, जो इस जीत के सबसे बड़े हीरो साबित हुए। इंग्लैंड के क्रिस वोक्स आखिरी ओवरों में चोटिल होने के बावजूद बल्लेबाजी करने उतरे, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके।
इस जीत के साथ भारत ने सीरीज में दूसरी बार जीत दर्ज की—पहला टेस्ट इंग्लैंड ने जीता था, फिर भारत ने दूसरा टेस्ट अपने नाम किया। तीसरा टेस्ट फिर से इंग्लैंड के खाते में गया और चौथा ड्रॉ हुआ। ऐसे में पांचवें और निर्णायक टेस्ट की यह नतीजा तय करता था कि ट्रॉफी किसके नाम रहेगी। चूंकि सीरीज 2-2 से बराबर रही, इसलिए ट्रॉफी साझा की गई।
इस सीरीज ने रिकॉर्ड्स के भी कई दरवाजे खोले। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी एक ही सीरीज में 9 बल्लेबाजों ने 400 रन से अधिक बनाए—जिसमें भारत के 5 और इंग्लैंड के 4 बल्लेबाज शामिल हैं। यही नहीं, यह टेस्ट इतिहास की दूसरी ऐसी सीरीज बनी जिसमें कुल 7 हजार से ज्यादा रन बने। इससे पहले ऐसा सिर्फ 1993 की एशेज सीरीज में हुआ था, जिसमें 6 टेस्ट मैचों में 7221 रन बने थे।
टीम इंडिया की कमान शुभमन गिल ने संभाली थी और उन्होंने युवा खिलाड़ियों को भरपूर मौका दिया। यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन, केएल राहुल, करुण नायर और ध्रुव जुरेल जैसे बल्लेबाजों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया, वहीं गेंदबाजी में सिराज के साथ आकाशदीप और प्रसिद्ध कृष्णा भी धारदार नजर आए। ऑलराउंडर के तौर पर रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने संतुलन बनाए रखा।