जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
एक ओर गली-गली में उड़ते गुलाल और अबीर के रंग, ढोल-नगाड़ों की थाप, और फाग गीतों की गूंज… दूसरी ओर रमजान का पाक महीना, इबादतों का सुकून, और जुमे की पाक नमाज! इस बार संयोग भी ऐसा कि 64 साल बाद फिर से होली और रमजान का पवित्र शुक्रवार एक ही दिन पड़ रहा है। 14 मार्च को जहां हिंदू समाज रंगों में सराबोर होगा, वहीं मुस्लिम समाज रमजान के सबसे अहम दिन की नमाज अदा करेगा। लेकिन क्या इस बार यह संयोग सौहार्द का प्रतीक बनेगा, या फिर सियासत इसे एक विवाद का मुद्दा बना देगी?
पर यह पहली बार नहीं है जब ऐसा संयोग बना हो। 1961 में भी होली और रमजान का जुम्मा एक साथ पड़ा था, लेकिन तब कहीं कोई तनाव नहीं हुआ था। फिर सवाल उठता है कि आज यह मुद्दा क्यों गरमा गया है? क्या वजह है कि पुलिस प्रशासन को इस बार हाई अलर्ट पर रहना पड़ रहा है?
दरअसल, साल 2022 में होली और शुक्रवार एक साथ आए थे, जिसके चलते कानपुर और लखनऊ से हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। कानपुर में एक जुलूस के दौरान धार्मिक गीतों को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। इस दौरान पथराव, तोड़फोड़ और पुलिस पर हमले की घटनाएं भी हुईं। कई क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा को भी बंद करना पड़ा। लखनऊ में भी कुछ स्थानों पर छोटी झड़पें हुई थीं। उस साल विधानसभा चुनाव भी हुए थे, जिसके लिए यूपी को केंद्र से मिली सुरक्षा बलों को होली तक रोका गया था, जिससे स्थिति को जल्दी नियंत्रित किया जा सका।
वहीं, साल 2024 में बहराइच और संभल में हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के समय एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी। वहीं, नवंबर 2024 में संभल में शाही मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, जिसके चलते मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई।
इन सभी मामलों और घटनाओं को देखते हुए इस बार प्रशासन स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए सतर्क है और इसीलिए सभी जगह निगरानी कड़ी कर दी गई है। हालांकि इसी बीच हो रही बयानबाजी ने भी चिंताएं बढ़ाई हुई हैं।
दरअसल, 6 मार्च को संभल में पीस कमेटी की बैठक में सीओ अनुज चौधरी ने कहा था- शुक्रवार तो साल में 52 बार आता है, होली एक बार आती है। अगर रंग से परहेज है तो नमाज घर में ही पढ़ लेना। हालांकि, बाद में अनुज चौधरी ने कहा- मेरा स्पष्ट संदेश है, जिसमें कैपेसिटी हो रंग खेलने की, जिसका बड़ा मन हो वह बाहर निकले। नहीं तो अनावश्यक कोई भी आदमी बाहर न निकले। चौधरी का यह बयान चिंगारी की तरह सियासी गलियारों में फैल गया। लेकिन एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुज चौधरी के बयान को सही ठहराते हुए कह दिया—“सच बोलने से कुछ लोगों को तकलीफ होती है!” उन्होंने आगे कहा कि, “होली साल में एक बार पड़ती है, जुमे की नमाज तो हर सप्ताह पड़नी है। स्थगित भी हो सकती है। कोई बाध्यकारी तो है नहीं। अगर कोई व्यक्ति नमाज पढ़ना ही चाहता है तो अपने घर में पढ़ सकता है। जरूरी नहीं कि वह मस्जिद में ही जाए। जाना है, तो रंग से परहेज न करे।” जिसके बाद समाजवादी पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने इन बयानों का पलटवार किया था।
वहीं, पिछले ही दिनों MP सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था, मुसलमान भाइयों को बड़ा दिल रखना चाहिए। जुमा तो हर हफ्ते आता है। होली तो साल में एक बार आती है। इसलिए मुस्लिम भाई हमारे साथ होली का मजा लें। होली खेलना इस्लाम के खिलाफ नहीं है। हमारे यहां गंगा-जमुनी संस्कृति रही है। एक-दूसरे को गुलाल लगाया है। पता नहीं कहां का कट्टरवाद यहां आकर मुस्लिम भाइयों में भ्रम पैदा कर रहा है। मुस्लिम भाइयों को अपने पूर्वजों को याद करना चाहिए। मुस्लिम के पूर्वजों ने भी ब्रज में कृष्ण के साथ होली खेली है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए। जिसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस बयान का पलटवार कर कहा था, होली इस देश की परंपराओं का त्योहार है। मेरा मानना है कि यह धर्म से ऊपर है। इस तरह की भाषा बोलना यह दर्शाता है कि कैलाश जी इस सरकार में साइडलाइन हैं। उनके पास इतना बड़ा मंत्रालय है। करप्शन के खिलाफ काम करें, पारदर्शिता लाएं। उस पर तो काम करते नहीं हैं, उल्टे-सीधे बयान देते हैं।
हालाँकि इन बयानबाजी के बीच इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रमुख मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, जिसमें हर मुसलमान इबादत करना चाहता है। इस साल जुमे के दिन हमारे हिंदू भाइयों का त्योहार होली भी है। इसलिए, सभी मस्जिदों की कमेटी से अनुरोध है कि जिन मस्जिदों में जुमे की नमाज साढ़े 12 बजे से 1 बजे के बीच होती है, वहां एक घंटे का समय बढ़ा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नमाज-ए-जुमा अपने मोहल्ले की मस्जिदों में ही अदा करें। जामा मस्जिद ईदगाह (लखनऊ) में जुमे की नमाज 12:45 बजे होती है, लेकिन इस शुक्रवार को यह 2 बजे होगी।