विटामिन D की कमी के छिपे कारण: सिर्फ धूप नहीं, ये आदतें भी बना सकती हैं हड्डियों को कमजोर!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

अक्सर जब भी विटामिन D की कमी की बात होती है, तो लोग इसका सीधा संबंध धूप की कमी से जोड़ देते हैं। यह बात सच है कि सूरज की रोशनी इस विटामिन का सबसे अहम स्रोत है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल धूप से दूर रहना ही इस ज़रूरी विटामिन की कमी का कारण नहीं है? आज की जीवनशैली, खान-पान की आदतें और कुछ गंभीर शारीरिक समस्याएं भी इस कमी की वजह बन सकती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इन कारणों पर भी समय रहते ध्यान दिया जाए, तो शरीर में विटामिन D की कमी को रोका जा सकता है।

मोटापा भी बन सकता है कारण

अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है या आप मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। मोटापा न सिर्फ हृदय और शुगर जैसी बीमारियों को जन्म देता है, बल्कि यह विटामिन D की कमी का भी बड़ा कारण बन सकता है। शरीर में फैट की अधिकता विटामिन D के अवशोषण में बाधा डालती है, जिससे यह विटामिन शरीर में सक्रिय रूप से कार्य नहीं कर पाता। इसलिए हेल्दी और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर वजन को नियंत्रित रखना बहुत ज़रूरी है।

लिवर और किडनी की सेहत भी ज़िम्मेदार

शरीर में विटामिन D को एक्टिव फॉर्म में बदलने का काम लिवर और किडनी करती हैं। अगर इन दोनों अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित हो जाए — जैसे कि फैटी लिवर, किडनी डिसफंक्शन या क्रॉनिक डिजीज — तो शरीर विटामिन D को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता। इसके कारण इस विटामिन की कमी हो जाती है, जो हड्डियों की मजबूती के लिए घातक साबित हो सकती है। ऐसे में लिवर और किडनी की नियमित जांच कराते रहना बेहद ज़रूरी है।

गट हेल्थ और दवाइयों का असर

हमारी आंतों की सेहत भी विटामिन्स के अवशोषण में बड़ी भूमिका निभाती है। अगर किसी व्यक्ति को गट इंफ्लेमेशन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या सीलिएक डिज़ीज जैसी आंतों से जुड़ी समस्या है, तो यह विटामिन D के एब्जॉर्प्शन को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक कुछ विशेष प्रकार की दवाइयों — जैसे एंटी-कन्वल्सेंट्स, स्टेरॉयड्स या कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल मेडिकेशन — के सेवन से भी विटामिन D की कमी हो सकती है।

खाने-पीने की आदतों में सुधार जरूरी

सिर्फ दवाइयों और बीमारी ही नहीं, हमारा डाइट प्लान भी इस समस्या की एक अहम वजह है। अगर आप अपने खाने में विटामिन D से भरपूर चीजें जैसे कि फैटी फिश (सैल्मन, टूना), अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड मिल्क और अनाज, मशरूम, या पनीर शामिल नहीं करते, तो इसका असर आपकी हड्डियों, इम्यून सिस्टम और मूड पर दिख सकता है। डॉक्टर की सलाह से विटामिन D सप्लिमेंट्स लेना भी एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है।

समय पर इलाज न किया तो हो सकते हैं गंभीर परिणाम

विटामिन D की कमी अगर समय रहते दूर न की जाए, तो इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, शरीर में बार-बार दर्द, थकान और इम्यूनिटी कमजोर होने जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। महिलाओं में यह कमी पीरियड्स की अनियमितता, प्रेग्नेंसी में जटिलताएं, और पोस्टमेनोपॉज़ बोन लॉस जैसे गंभीर असर डाल सकती है।

विशेष सलाह:

अगर आपको दिनभर थकान महसूस होती है, मांसपेशियों में दर्द रहता है, मूड स्विंग्स होते हैं या बार-बार सर्दी-खांसी हो जाती है, तो यह संकेत हो सकते हैं कि आपके शरीर में विटामिन D की कमी है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लेकर टेस्ट कराना और जरूरत के अनुसार सप्लिमेंट लेना ही बेहतर है।

 डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। कोई भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले अपने चिकित्सक या डायटीशियन से सलाह अवश्य लें। हम इस जानकारी की पुष्टि नहीं करते ।

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