उत्तरकाशी में भीषण आपदा: धराली गांव में मलबे के नीचे 100 से ज्यादा लोगों के दबे होने की आशंका, SDRF और ITBP राहत में जुटे; हाईटेक उपकरण अब तक घटनास्थल से दूर, सिर्फ 3 JCB मशीनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से यह शांत पहाड़ी इलाका मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है। माना जा रहा है कि गांव के 100 से अधिक लोग अब भी लापता हैं और मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं, लेकिन राहत और बचाव कार्य अब तक पूरी गति नहीं पकड़ पाया है।

धराली गांव के लगभग 80 एकड़ इलाके में मलबा 20 से 50 फीट तक जम चुका है। इस विशाल मात्रा में फैले मलबे को हटाने के लिए मात्र 3 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं, जो मौजूदा स्थिति को देखते हुए नाकाफी साबित हो रही हैं। हाईटेक उपकरण, जैसे थर्मल सेंसिंग डिवाइस और भारी मशीनें, जो रेस्क्यू में अहम भूमिका निभा सकते हैं, वे अब तक घटनास्थल तक नहीं पहुंच पाए हैं। इन संसाधनों को भटवाड़ी में तैनात किया गया है, लेकिन सड़क मार्ग बाधित होने के कारण वे अटके हुए हैं।

धराली गांव तक पहुंचने के लिए सिर्फ एक ही सड़क है, जो कई स्थानों पर पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। भूस्खलन और टूटे पुलों के कारण रास्ते बहाल करने में प्रशासन को कई दिन लग सकते हैं। यही वजह है कि राहत और बचाव कार्यों में लगातार देरी हो रही है। ग्रामीणों और राहत दलों में स्पष्ट चिंता और असहायता का माहौल देखा जा सकता है।

इस त्रासदी से उपजे हालात को देखते हुए ISRO ने Cartosat-2S सैटेलाइट के जरिए घटनास्थल की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें साझा की हैं। इन सैटेलाइट इमेज से नदियों के बदलते मार्ग, मलबे के जमाव और बर्बाद हुई संरचनाओं की स्पष्ट जानकारी मिली है, जिससे बचाव कार्यों की योजना बनाने में कुछ हद तक मदद मिली है।

राज्य सरकार की ओर से सेना, SDRF और ITBP को राहत कार्यों में लगाया गया है। डॉग स्क्वॉड, ड्रोन और ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से लापता लोगों की खोजबीन की जा रही है। सेना के इंजीनियरिंग विंग के अधिकारी मानते हैं कि फिलहाल मशीनों की भारी कमी है और सभी कार्य सीमित संसाधनों से किए जा रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, अब तक उत्तरकाशी जिले से कुल 566 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। धराली और हर्षिल जैसे ऊपरी इलाकों में फंसे लगभग 300 लोगों को बचाने के प्रयास तेज किए गए हैं। इन क्षेत्रों में बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि आज के अंत तक इनमें बहाली की जा सकेगी।

इस आपदा से प्रभावित लोगों में बड़ी संख्या महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, केरल और अन्य राज्यों के पर्यटक शामिल हैं। अब तक महाराष्ट्र के 151 पर्यटकों में से 120 से संपर्क स्थापित किया जा चुका है, जो ITBP के शिविर में सुरक्षित हैं, लेकिन 31 टूरिस्ट अब भी लापता हैं।

बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा भी फिलहाल रोक दी गई है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण स्थगित कर दिए गए हैं, और हजारों श्रद्धालु रास्ते में ही रुके हुए हैं।

पूरे उत्तरकाशी क्षेत्र में हालात गंभीर बने हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते सड़क मार्ग, भारी मशीनें और राहत सामग्री मौके पर पहुंचा दी जातीं, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। फिलहाल पूरा उत्तराखंड एकजुट होकर इस भीषण आपदा से जूझ रहा है, लेकिन मूलभूत ढांचे की कमियां एक बार फिर से उजागर हो गई हैं।

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