भारतीय सेना का नया युद्ध सिद्धांत तैयार, अब आतंकी हमले को माना जाएगा ‘युद्ध’; AI से लेजर तक, सेना अब लड़ेगी ‘प्रोएक्टिव डिटरेंस’ की होगी जंग!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

भारतीय सेना अब सीमाओं पर पारंपरिक युद्ध की जगह, नॉन-स्टेट एक्टर्स यानी आतंकवादी संगठनों और उन्हें समर्थन देने वाले देशों से लड़ने के लिए एक नया और आक्रामक युद्ध सिद्धांत तैयार कर रही है। दशकों से पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और हाल ही में अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों से मिले अनुभव इस नीति के आधार बने हैं। इस युद्ध सिद्धांत की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि अब आतंकी हमले को देश के खिलाफ सीधा युद्ध माना जाएगा, और सैन्य कार्रवाई उसी स्तर पर की जाएगी।

इस नीति का उद्देश्य केवल प्रतिक्रिया देना नहीं, बल्कि पहले ही खतरों की पहचान कर उन्हें समाप्त करना होगा। सेना अब ‘रणनीतिक संयम’ की नीति से आगे बढ़कर ‘प्रोएक्टिव डिटरेंस’, ‘प्रीएम्पटिव स्ट्राइक’ और ‘प्रिवेंटिव एक्शन’ जैसे आधुनिक युद्ध-प्रावधानों पर ज़ोर दे रही है। यानी अब यदि किसी खतरे की संभावना मात्र हो, तो भी भारतीय सेना पहले से कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगी।

इस युद्ध रणनीति को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान की निगरानी में अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके लिए ‘फ्यूचर वॉरफेयर एनालिसिस ग्रुप’ नामक एक विशिष्ट टीम बनाई गई है, जो युद्ध के नए स्वरूपों, टेक्नोलॉजी, साइबर और स्पेस आधारित खतरों का गहराई से अध्ययन कर रही है। उसी के आधार पर सैन्य प्रशिक्षण, हथियारों की खरीद, ऑपरेशनल प्लानिंग और डोक्ट्रिन तय की जाएगी।

जनरल चौहान ने हाल ही में शांगरी-ला डायलॉग में युद्ध क्षेत्र में हो रहे तीन बड़े सामरिक बदलावों का जिक्र किया था। पहला, अब दुनिया के हथियार सब-सोनिक से हाइपरसोनिक हो चुके हैं। दूसरा, एआई, मशीन लर्निंग और बड़े लैंग्वेज मॉडल्स ने कमांडरों को तेजी से निर्णय लेने की क्षमता दी है। तीसरा, सेंसर और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी के कारण अब युद्ध क्षेत्र पहले से कहीं अधिक पारदर्शी हो गया है — यानी दोनों पक्षों के पास एक-दूसरे की गतिविधियों की सटीक जानकारी होती है।

सेना अब टेक्नोलॉजी संचालित ऑपरेशनों पर फोकस करेगी, जिसमें दुश्मन को मौका दिए बिना, सटीक और चौंकाने वाली कार्रवाई की जाएगी। आमने-सामने की टकराव वाली लड़ाई अब पिछली बात मानी जा रही है। भविष्य की तैयारी में ‘स्कैल्प, हैमर और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों की मारक क्षमता बढ़ाई जाएगी, जबकि ‘आकाश’ और ‘स्काई स्ट्राइकर’ जैसे ड्रोन्स से हवाई सुरक्षा और जवाबी हमले और तेज होंगे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को इस रणनीति का पहला लाइव उदाहरण माना जा रहा है। यह ऑपरेशन कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। लेकिन इस बार भारत ने केवल शोक नहीं जताया, बल्कि दुश्मन को करारा और निर्णायक जवाब भी दिया। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कारगिल विजय दिवस पर स्पष्ट शब्दों में कहा – “अब दुश्मन को जवाब देना हमारा न्यू नॉर्मल है।”

यह नया सिद्धांत केवल मैदान पर नहीं, बल्कि सूचना और मीडिया युद्ध में भी उतना ही सक्रिय रहेगा। दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए अब सेना तुरंत सही जानकारी लोगों तक पहुंचाएगी ताकि जनमत भी राष्ट्रीय रणनीति के साथ मजबूती से खड़ा रहे।

26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल में तीनों सेना प्रमुखों के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं लद्दाख के द्रास में जनरल द्विवेदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सेना अब किसी भी उकसावे का जवाब सिर्फ शब्दों में नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक्स और टेक्नोलॉजिकल ऑपरेशनों से देगी।

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