जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
इंदौर में शूट की गई और देश की पहली वन-शॉट हिंदी फीचर फिल्म ‘2020 दिल्ली’ अब 14 नवंबर 2025 को बड़े पर्दे पर दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस फिल्म को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहे थे, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे रचनात्मक स्वतंत्रता का समर्थन देते हुए विरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
फिल्म के ट्रेलर रिलीज होने के बाद जनवरी 2025 में ही राजनीतिक बहस शुरू हो गई थी। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे ‘भाजपा का प्रोपगेंडा’ करार देते हुए चुनाव आयोग से बैन की मांग की थी। इसके अलावा, दिल्ली दंगों के सात आरोपियों ने फिल्म पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि फिल्म से उनके खिलाफ जनमानस में पूर्वाग्रह बन सकता है।
हालांकि कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए फिल्म को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। फिल्म को सेंसर बोर्ड ने UA सर्टिफिकेट (16+) दिया है।
फिल्म के निर्माता और निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने कहा कि यह फिल्म उनके लिए एक भावनात्मक और रचनात्मक संघर्ष रही है। उन्होंने बताया कि विरोध के बावजूद टीम ने पूरी ताकत लगाकर इस प्रोजेक्ट को पूरा किया। उन्होंने कहा, “जब किसी समाज में बीमारी है तो उसका नाम लेने में डर क्यों लगता है? तभी उसका समाधान निकाला जा सकता है। यही मकसद इस फिल्म का है।”
देवेंद्र ने यह भी बताया कि इस फिल्म पर काम करना आसान नहीं था क्योंकि उनके पास बड़े प्रोडक्शन हाउस का सहयोग नहीं था। बावजूद इसके, टीम ने स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों की मदद से इसे संभव बनाया।
भाजपा नेता का समर्थन
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने फिल्म का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसी फिल्में बनती रहनी चाहिए। उन्होंने फिल्म के शीर्षक गीत ‘युद्ध कर’ का लोकार्पण किया और इसे हिंदी व संस्कृत में लिखा गया गीत बताया। विजयवर्गीय ने कहा कि मप्र सरकार इस फिल्म को सबसिडी दे रही है और वे चाहते हैं कि इसे टैक्स फ्री किया जाए ताकि यह अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचे।
फिल्म की खास बातें
-
‘2020 दिल्ली’ बिना किसी कट के 2 घंटे 16 मिनट की एक ही टेक में शूट की गई पहली हिंदी फीचर फिल्म है।
-
इसमें 300 से ज्यादा स्थानीय कलाकार और तकनीशियन शामिल थे।
-
पोस्ट-प्रोडक्शन, म्यूजिक और अन्य तकनीकी काम पूरी तरह इंदौर में किया गया।
-
कहानी CAA, पाकिस्तान-बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों की पीड़ा और 2020 दिल्ली दंगों के घटनाक्रम पर आधारित है।
-
फिल्म दिखाती है कि कैसे CAA के विरोध के पीछे देश के खिलाफ वैचारिक और सांस्कृतिक हमला हो रहा था।
विरोध करने वालों का आधार
दिल्ली दंगों के आरोपी और JNU छात्र शरजील इमाम ने इस फिल्म पर आपत्ति जताई थी। इमाम पर आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर देश-विरोधी बयान दिए थे और उत्तर-पूर्व भारत को शेष भारत से काटने की बात कही थी।
रिलीज के लिए तैयारियां
फिल्म का प्रमोशन जोर-शोर से चल रहा है और अब निर्माताओं ने आधिकारिक तौर पर इसकी रिलीज की तारीख घोषित कर दी है। देवेंद्र मालवीय का कहना है कि विरोध और विवाद ने फिल्म को और मजबूती दी है और अब वे इसे पूरे देश में दर्शकों तक पहुंचाना चाहते हैं।