जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारत की तकनीकी शिक्षा अब नए दौर में प्रवेश कर चुकी है। देश के प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ओडिशा से वर्चुअली 8 आईआईटी केंद्रों की विस्तार परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस सूची में आईआईटी इंदौर भी शामिल है, जिसे कुल 624.57 करोड़ रुपये की विशाल परियोजना की सौगात मिली है।
इंदौर को मिला तकनीकी शिक्षा का मेगा गिफ्ट
इस विस्तार परियोजना के तहत आईआईटी इंदौर में अत्याधुनिक शैक्षणिक भवन, आवासीय परिसरों, औद्योगिक अनुसंधान पार्क, डिज़ाइन विभाग, विद्यार्थी गतिविधि केंद्र, व्याख्यान कक्ष परिसर, और आगंतुक छात्रावास का निर्माण किया जाएगा। साथ ही अत्याधुनिक उपकरणों की खरीदी और स्थापना भी होगी।
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374.38 करोड़ रुपये – शैक्षणिक भवनों के निर्माण पर
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123.15 करोड़ रुपये – आवासीय सुविधाओं और सामान्य सेवाओं पर
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27.04 करोड़ रुपये – आधुनिक अनुसंधान उपकरणों की खरीदी पर
सीएम डॉ. मोहन यादव ने जताया आभार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सौगात तकनीकी शिक्षा में एक नए युग का सूत्रपात करेगी। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से युवाओं को अध्ययन, शोध और नवाचार करने के लिए व्यापक अवसर मिलेंगे, जिससे इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे देश का शैक्षणिक और औद्योगिक माहौल मजबूत होगा।”
उन्होंने बताया कि इस विस्तार परियोजना को उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA) के तीसरे चरण में मंजूरी दी गई है।
आईआईटी इंदौर बनेगा इनोवेशन का हब
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा कि नई आधारभूत संरचनाएं और उपकरण संस्थान के शैक्षणिक और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को विश्वस्तरीय बनाएंगे। इससे छात्रों और शिक्षकों को इनोवेशन, सहयोग और समग्र विकास के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म मिलेगा।
100 करोड़ से लैब का विस्तार
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के 7 आईआईटी संस्थानों की लैब्स के लिए अतिरिक्त फंडिंग का ऐलान किया, जिसमें इंदौर को भी 100 करोड़ रुपये मिले हैं। इस राशि से आईआईटी इंदौर की लैब्स को एडवांस रिसर्च इक्विपमेंट से लैस किया जाएगा।
इन अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल भौतिकी, रसायन विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग समेत कई वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में किया जाएगा। इससे न केवल जटिल प्रयोग और डेटा विश्लेषण संभव होगा, बल्कि वैश्विक स्तर का रिसर्च वातावरण भी तैयार होगा।
इंदौर के लिए यह परियोजना केवल एक इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड नहीं है, बल्कि यह शहर और राज्य के लिए नवाचार, स्टार्टअप्स और रिसर्च-ड्रिवन विकास का बड़ा केंद्र बनने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में आईआईटी इंदौर एशिया के टॉप रिसर्च हब्स में अपनी जगह बना सकता है।
यह परियोजना सिर्फ इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और देश के तकनीकी भविष्य को नई दिशा देगी।