जैसलमेर: स्कूल का जर्जर गेट गिरा, 7 साल के मासूम अरबाज की दर्दनाक मौत; छुट्टी के वक्त बहनों को लेने आया था स्कूल, कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में सरकारी सिस्टम की लापरवाही एक मासूम की जान ले बैठी। पूनमनगर क्षेत्र में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का जर्जर मुख्य प्रवेश द्वार सोमवार को अचानक भरभराकर गिर गया, जिससे 7 वर्षीय छात्र अरबाज खान की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में एक शिक्षक और एक अन्य 5 वर्षीय बच्ची घायल हो गईं। इस घटना ने न केवल प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सरकारी स्कूलों की जर्जर व्यवस्था को एक बार फिर सामने लाकर रख दिया है।

छुट्टी के वक्त स्कूल आया था बहनों को लेने, लौटकर घर नहीं गया

अरबाज खान पहली कक्षा का छात्र था और उसका स्कूल अपनी बहनों के स्कूल से महज़ 100 फीट की दूरी पर था। रोज़ की तरह सोमवार दोपहर 1 बजे वह छुट्टी के बाद अपनी बहनों को लेने उनके स्कूल आया था। इसी दौरान जैसे ही गेट से बाहर निकलने की कोशिश हुई, अचानक मैन गेट के ऊपर लगा भारी पत्थर और लोहे का ढांचा गिर पड़ा। हादसे में अरबाज की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं पास खड़ी प्रिया नाम की 5 साल की बच्ची और स्कूल के शिक्षक अशोक सोनी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल बच्ची को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया, जबकि शिक्षक को जवाहर अस्पताल रेफर किया गया।

आंखों के सामने गया मासूम, टीचर की कोशिश भी नाकाम

घटना के प्रत्यक्षदर्शी और घायल शिक्षक अशोक सोनी ने बताया कि स्कूल की छुट्टी के बाद गेट पर 15-20 बच्चे खड़े थे, जो अपने भाई-बहनों का इंतजार कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि गेट का ऊपरी पत्थर ढहने को है। जान बचाने के लिए वो तेजी से दौड़े और उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन पत्थर इतना भारी था कि वो उसे संभाल नहीं पाए। पत्थर उनके ऊपर गिरा, और उसके बाद पूरा गेट ढह गया। उनकी कोशिशों से कुछ बच्चे तो बच गए, लेकिन अरबाज इसकी चपेट में आ गया। शिक्षक का सिर फट गया और उनके पैर में फ्रैक्चर आया है।

लापरवाही के खिलाफ आक्रोश, शव के साथ धरने पर बैठे ग्रामीण

हादसे के बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर ही शव रखकर धरना शुरू कर दिया। उनका साफ आरोप था कि स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग को पहले से पता था कि गेट जर्जर हालत में है, इसके बावजूद इसे ठीक नहीं कराया गया। यह स्कूल जैसलमेर के विधायक छोटू सिंह भाटी के पैतृक गांव में स्थित है। घटना की जानकारी मिलते ही विधायक, एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और धरना समाप्त कराने के प्रयास किए।

हादसे से बेहोश हुए मृतक के मामा, परिवार पर टूटा दुख का पहाड़

अरबाज के पिता की कोरोना काल में मौत हो चुकी थी। वह चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उसकी दो बहनें उसी स्कूल में पढ़ती हैं, जहां हादसा हुआ। बड़े भाई की उम्र 9 साल है। घटना की खबर मिलने पर अरबाज के मामा शमशेर खान जब मीडिया से बात कर रहे थे, तो भांजे की मौत का ग़म सह नहीं सके और कैमरे के सामने ही बेहोश हो गए। आसपास मौजूद लोगों ने उन्हें संभाला।

पहले से दी गई थी सूचना, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

स्कूल की प्रिंसिपल सुमन बाला ने बताया कि गेट की खराब हालत के बारे में उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों को सूचित किया था। स्थानीय स्तर पर CBO और PEO को भी जानकारी दी गई थी। कुछ कमरों की हालत भी खराब है, जिन्हें ताले लगाकर बंद किया गया है। लेकिन गेट के बारे में चेतावनी के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।

कलेक्टर ने बनाई जांच कमेटी, होगी कार्रवाई

घटना के बाद जैसलमेर के कलेक्टर प्रताप सिंह ने मामले की जांच के आदेश देते हुए कहा कि “गेट की हालत बहुत खराब थी, यह साफ है। हमने जांच कमेटी बनाई है, जो ज़िम्मेदारों की पहचान कर कार्रवाई की सिफारिश करेगी।” कलेक्टर ने यह भी बताया कि पूरे ज़िले में स्कूलों की सेफ्टी ऑडिट के निर्देश दिए गए हैं और उपखंड व जिला स्तर पर कमेटियों का गठन किया गया है।

उदयपुर में भी हादसा टला

उधर, उदयपुर जिले में एक स्कूल की तीन कक्षाओं की छत का प्लास्टर अचानक गिर गया। सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और 45 बच्चे बाल-बाल बच गए। यह घटनाएं बताती हैं कि प्रदेश में कई स्कूल जर्जर हालात में हैं और लगातार खतरे की जद में हैं।

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