ब्रेस्ट मिल्क की कमी से बच्चे की सेहत को खतरा! जानिए कैसे बढ़ाएं माँ का दूध — असरदार और साइंटिफिक तरीके

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

नई माँ बनी महिलाओं के लिए सबसे बड़ी चिंता होती है – क्या मेरा दूध मेरे बच्चे के लिए पर्याप्त है? कई बार डिलीवरी के बाद महिलाओं को यह महसूस होता है कि उनके स्तनों में दूध की मात्रा कम है या कभी-कभी पूरी तरह से बंद हो गई है। ऐसी स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि समझदारी से काम लेने की आवश्यकता है। क्योंकि माँ का दूध ही शिशु की पहली वैक्सीन है – जो न सिर्फ पोषण देता है, बल्कि उसे बीमारियों से लड़ने की ताकत भी देता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्तनपान की सही तकनीक और माँ का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों का सीधा असर दूध के उत्पादन पर पड़ता है। सबसे पहले ध्यान देना जरूरी है ब्रेस्टफीडिंग की पोजीशन पर। हर बार शिशु को दोनों स्तनों से दूध पिलाएं और हर दो से तीन घंटे के अंतराल पर ब्रेस्टफीडिंग करवाएं। जितना अधिक बच्चा स्तनपान करेगा, उतना ही ज्यादा मिल्क प्रोडक्शन नेचुरली होगा।

इसके साथ ही “स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट” एक साइंटिफिक और इमोशनल तरीका है, जिससे ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज होता है, जो दूध बनने की प्रक्रिया को तेज करता है। माँ का अपने बच्चे के साथ इमोशनल बॉन्ड बनाना, स्ट्रेस से दूर रहना और पर्याप्त नींद लेना भी बेहद जरूरी है। रिसर्च बताते हैं कि स्ट्रेस हार्मोन प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन के स्राव को रोकता है, जो दूध बनने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

अगर बात करें खानपान की, तो ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट जरूरी है। फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ड्राय फ्रूट्स और प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे – दालें, अंडे, दूध, पनीर आदि डाइट में शामिल करें। इसके साथ भरपूर पानी पिएं और नारियल पानी या सूप जैसी हाई-वॉटर कंटेंट चीजें भी लें। माँ के शरीर को हाइड्रेटेड रखना दूध बनाने में मदद करता है।

अगर इन तमाम उपायों के बावजूद दूध की मात्रा में सुधार न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार हार्मोनल कारणों या अन्य चिकित्सीय स्थितियों के चलते दूध न बनने की समस्या हो सकती है, जिसका इलाज संभव है।


डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसमें बताए गए सुझाव किसी भी मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं हैं। किसी भी हेल्थ संबंधित निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। आपकी और आपके बच्चे की सुरक्षा सर्वोपरि है।

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