हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इंदौर में सोनम रघुवंशी समेत 11 महिलाओं के पुतले जलाने पर रोक, कहा—किसी की छवि को नुकसान पहुंचाना अवैध; सोनम रघुवंशी की मां ने दाखिल की थी याचिका!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

इंदौर से एक संवेदनशील और विवादास्पद मामला सामने आया है, जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने सत्तारूढ़ न्याय व्यवस्था के दृष्टिकोण से रोक दिया है। दशहरा पर्व के दौरान पौरुष संस्था द्वारा हत्या और गंभीर अपराध से जुड़ी 11 महिलाओं के पुतले शूर्पणखा के प्रतीक के रूप में जलाने की योजना को अदालत ने शनिवार को रोक दिया। इस सूची में प्रमुख नाम सोनम रघुवंशी का है, जो पति राजा रघुवंशी की हत्या के आरोपी हैं।

पुतला दहन पर रोक के पीछे याचिका

सोनम रघुवंशी की मां, संगीता रघुवंशी ने 25 सितंबर को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका तर्क था कि सोनम अभी तक दोषी नहीं ठहराई गई हैं और ऐसे सार्वजनिक दहन से उनकी इज्जत पर अनावश्यक आघात होगा। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति पर आरोप होना उसके पुतले जलाने का औचित्य नहीं देता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह लोकतांत्रिक मूल्य और संविधान के खिलाफ है।

पौरुष संस्था का प्रस्ताव और विरोध

पौरुष संस्था ने दशहरा पर शूर्पणखा के रूप में 11 महिलाओं के पुतले जलाने का आयोजन करने की योजना बनाई थी। इसमें सोनम रघुवंशी, मुस्कान (आगरा नीले ड्रम हत्याकांड की आरोपी) समेत अन्य महिलाएं शामिल थीं, जिन पर पति, बच्चे और परिवार की हत्या या हत्या की साजिश का आरोप है। संस्था ने इस पुतले को ‘बुराई का प्रतीक’ बताते हुए आयोजन की तैयारी की थी।

इस प्रस्ताव पर सोनम के परिवार और खासतौर पर उनके भाई गोविंद रघुवंशी ने आपत्ति जताई थी। गोविंद ने कलेक्टर को शिकायत दी थी कि उनके खिलाफ केस चल रहा है और ऐसे आयोजन से उनका मानसिक उत्पीड़न होगा। उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था के खिलाफ और सोनम की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला कदम बताया।

हाईकोर्ट का आदेश और तर्क

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप सही या गलत साबित होने से पहले किसी व्यक्ति का पुतला जलाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई किसी भी लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार्य नहीं है और इससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को अवमानना का सामना करना पड़ सकता है।

इस विवाद में शामिल महिलाएं

पौरुष संस्था ने जिन 11 महिलाओं के पुतले जलाने का प्रस्ताव रखा था, उनमें प्रमुख रूप से शामिल थीं —

  1. सोनम रघुवंशी (इंदौर) – पति राजा रघुवंशी की हत्या में आरोपी।

  2. मुस्कान (आगरा) – पति की हत्या कर शव को टुकड़ों में दफनाने का आरोप।

  3. रविता (मेरठ) – पति को जहरीले सांप से मारने की योजना में शामिल।

  4. शशि (फिरोजाबाद) – पति की हत्या की साजिश में आरोपी।

  5. हंसा (देवास) – पति को एसिड से जलाकर हत्या का मामला।

  6. सूचना सेत (बैंगलुरु) – अपने बच्चों की हत्या में आरोपी।

  7. निकिता सिंघानिया (औनपुर) – पति की हत्या में शामिल।

  8. सुष्मिता (दिल्ली) – पति की हत्या करने का आरोप।

  9. चमन उर्फ गुड़िया (नालासोपारा) – पति हत्या का मामला।

  10. प्रियंका (औरैया) – बच्चों की हत्या में आरोपी।

  11. हर्षा (कुचामन) – परिवार में मारपीट से पति के आत्महत्या का मामला।

इस घटना ने न केवल इंदौर में बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है। एक ओर जहां पौरुष संस्था इसे “न्याय और चेतना” का प्रतीक मान रही थी, वहीं दूसरी ओर सोनम के परिवार ने इसे मानसिक उत्पीड़न और सामाजिक अपमान करार दिया। रघुवंशी समाज ने भी ‘रघुवंशी’ नाम के प्रयोग पर आपत्ति जताई।

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए इंदौर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की और नगर निगम की मदद से आयोजन से पहले ही पोस्टर और पुतले हटवा दिए। हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल सोनम रघुवंशी के मामले में बल्कि समान विचारधारा वाले आयोजनों के लिए एक उदाहरण बन गया है।

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