जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह के विवादित बयान पर गहराए संकट के बीच विशेष जांच दल (SIT) ने उनसे पूछताछ कर ली है। यह बयान कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिया गया था, जिस पर देशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, जहां 28 जुलाई को SIT अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने जा रही है। कोर्ट के निर्देश पर जांच कर रही SIT ने मंत्री विजय शाह से जबलपुर में पूछताछ की और उनके विस्तृत बयान दर्ज किए।
जबलपुर में दर्ज हुए मंत्री के बयान
जानकारी के मुताबिक, 19 जुलाई को विजय शाह को SIT के समक्ष जबलपुर बुलाया गया, जहां उनसे करीब 25 मिनट तक पूछताछ हुई। इस दौरान टीम ने आठ से दस सवाल पूछे, जो विशेष रूप से 11 मई को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम और उनके द्वारा दिए गए बयान से जुड़े थे। मंत्री से यह जानने की कोशिश की गई कि उन्होंने वह टिप्पणी किन संदर्भों में की थी और उसका उद्देश्य क्या था।
वीडियो फुटेज की भी जांच जारी
SIT ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो फुटेज भी जांच के लिए फोरेंसिक टीम को भेजा था। सूत्रों के मुताबिक, वीडियो की सत्यता, उसमें की गई टिप्पणियों और उस समय की परिस्थितियों को रिपोर्ट में प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। इसी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना है, जिसकी अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित है।
क्या कहा था मंत्री विजय शाह ने?
विवाद की जड़ में वह बयान है, जो विजय शाह ने हलमा कार्यक्रम में मौजूद भीड़ के सामने दिया था। उन्होंने कहा था —
“उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा… हमारी बहनों को विधवा किया है, तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी।” यह बयान उस समय दिया गया, जब केंद्र सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सफलतापूर्वक पूरा किया गया था और कर्नल सोफिया कुरैशी उस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाली टीम का हिस्सा थीं।
इस बयान पर पहले हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और FIR दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मंत्री को फटकार लगाई और तीन सदस्यीय SIT के गठन के आदेश दिए। खुद मंत्री शाह इस बयान के लिए अब तक तीन बार सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं — एक बार प्रेस के सामने, दो बार वीडियो संदेश के ज़रिए। उन्होंने अपने बचाव में इसे “भाषाई भूल” बताया और हाथ जोड़कर कर्नल सोफिया से माफी मांगी।
अब तक 125 से अधिक लोगों के बयान दर्ज
SIT की जांच की शुरुआत 20 मई से हुई, जिसमें इंदौर के बाणगंगा थाना क्षेत्र स्थित सरकारी विश्राम गृह को बेस कैम्प बनाया गया। टीम ने 5 दिनों में 125 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। इनमें आयोजन समिति के सदस्य, कार्यक्रम में शामिल स्टूडेंट्स, एनसीसी कैडेट्स, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, पत्रकार, कुलपति और खुद मंच पर मौजूद नेताओं के बयान शामिल हैं। विधायक ऊषा ठाकुर समेत कई भाजपा नेताओं के भी बयान लिए गए।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
अब सबकी निगाहें 28 जुलाई पर टिकी हैं, जब सुप्रीम कोर्ट में SIT द्वारा तैयार की गई स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाएगी। यह रिपोर्ट तय करेगी कि मंत्री विजय शाह पर कानूनी कार्यवाही आगे बढ़ेगी या उन्हें चेतावनी के साथ छोड़ दिया जाएगा। लेकिन इतना तय है कि यह बयान आने वाले चुनावी मौसम में राजनीतिक मुद्दा बनने से नहीं बचेगा।