मोदी सरकार बनाम अमेरिकी दबाव: ‘किसानों के हितों से समझौता नहीं करूंगा, चाहे कीमत कुछ भी हो’ – PM का बड़ा बयान

You are currently viewing मोदी सरकार बनाम अमेरिकी दबाव: ‘किसानों के हितों से समझौता नहीं करूंगा, चाहे कीमत कुछ भी हो’ – PM का बड़ा बयान

जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

दिल्ली में गुरुवार को एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के टैरिफ हमले का बिना नाम लिए कड़ा संदेश दे डाला। उनका बयान सिर्फ एक आर्थिक टिप्पणी नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार दबावों के सामने भारतीय किसानों की सुरक्षा की शपथ जैसा था। पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा – “मैं जानता हूं कि मुझे व्यक्तिगत रूप से इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत से होने वाले निर्यात पर भारी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। 7 अगस्त से 25% और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% शुल्क लागू किया जा रहा है। इससे भारतीय कृषि और डेयरी उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में काफी बढ़ जाएंगी, जिससे उनकी मांग प्रभावित हो सकती है।

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव 

  1. अमेरिकी डेयरी कंपनियों की भारत में घुसपैठ की कोशिश: अमेरिका चाहता है कि उसका दूध, घी, चीज़ जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स भारत में कम टैक्स पर आसानी से बिकें। उनका दावा है कि ये सस्ते और गुणवत्तापूर्ण हैं। लेकिन भारत को डर है कि इससे देश के करोड़ों छोटे किसान चौपट हो जाएंगे।

  2. शुद्धता बनाम व्यापारिक मुनाफा: भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक सोच के चलते लोग शुद्ध शाकाहारी उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं, जबकि अमेरिका में कई डेयरी उत्पादों में जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम जैसे रैनेट का उपयोग होता है। भारत की स्पष्ट मांग है कि कोई भी प्रोडक्ट 100% शाकाहारी होना चाहिए।

  3. जीएम फसलों का भारत में विरोध: अमेरिका लंबे समय से अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) उत्पाद जैसे मक्का, सोयाबीन और गेहूं भारत में लाने की कोशिश करता रहा है। लेकिन भारतीय किसान संगठन और नीति निर्माता इस पर एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।

  4. फलों और अनाज पर टैक्स में छूट की मांग: अमेरिका चाहता है कि उसके सेब, अंगूर, गेहूं और चावल जैसे उत्पादों को भारत में कम इम्पोर्ट ड्यूटी पर अनुमति दी जाए। भारत अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ है।

  5. ट्रेड डील की कोशिशें जारी: अमेरिका और भारत के बीच इस मसले पर पिछले 5 दौर की बैठक हो चुकी है। छठे दौर के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 24 अगस्त को भारत आने वाला है।


PM मोदी का फोकस – किसानों को आत्मनिर्भर बनाना, न कि उन्हें बाजार के हवाले करना

सम्मेलन में पीएम मोदी ने दिवंगत कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा को अपना जीवन-ध्येय बना लिया था। मोदी ने यह भी बताया कि कैसे गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ की योजना बनाई थी, जिसे स्वामीनाथन का पूरा समर्थन मिला और जो बाद में राष्ट्रीय स्तर पर सफल रही।

उन्होंने किसानों के सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का उल्लेख भी किया:

  • PM किसान सम्मान निधि, जिससे करोड़ों किसानों को सालाना सीधी आर्थिक सहायता मिल रही है।

  • PM फसल बीमा योजना, जो प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा देती है।

  • e-NAM, जिससे किसान अपनी उपज बेहतर दामों में देशभर में बेच सकते हैं।

  • FPOs (किसान उत्पादक संगठन) का नेटवर्क, जिससे छोटे किसान मिलकर बड़ी ताकत बन सकते हैं।

अभी तक के रुख से साफ है कि भारत अपने कृषि क्षेत्र को वैश्विक कॉर्पोरेट दबावों से बचाना चाहता है। पीएम मोदी का यह बयान सीधे-सीधे उस दिशा में स्पष्ट संदेश है। जहां अमेरिका भारत के बाजार में अपनी जगह बनाना चाहता है, वहीं भारत अपनी घरेलू आत्मनिर्भरता और ग्रामीण आजीविका को प्राथमिकता दे रहा है।

अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प खुद भी इस टैरिफ नीति को लेकर आलोचना झेल रहे हैं, क्योंकि इससे खुद अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं पर भी महंगाई का बोझ पड़ेगा। वहीं भारत अपनी स्थिति पर कायम रहकर यह संदेश दे रहा है – “हम विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन किसी कीमत पर अपने किसानों की कीमत पर नहीं।”

Leave a Reply