जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल में गुरुवार को कांग्रेस प्रदेश कार्यसमिति की बैठक का दूसरा दिन भी राजनीतिक हलचल से भरपूर रहा। प्रदेशभर से आए पदाधिकारी और नवनियुक्त कार्यकारिणी के सदस्य बैठक में शामिल हुए। हालांकि, बैठक के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की कुर्सी हटाए जाने और बीच में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के बाहर जाने पर विवाद खड़ा हो गया।
दरअसल, बैठक शुरू होने से पहले मंच पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के लिए कुर्सी लगाई गई थी, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया। साथ ही, उमंग सिंघार के लगातार दूसरे दिन बैठक में गैरहाजिर रहने से सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया। वहीं, इस घटनाक्रम पर भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने चुटकी लेते हुए कहा, “जीतू के लिए पार्टी और सिंघार के लिए कुर्सी गई तेल लेने।” उनकी इस टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया। वहीं, बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता भी नदारद रहे।
बता दें, एमपी कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के गठन के बाद यह पहली बैठक थी, जिसमें जिलों से आए कई पदाधिकारी और कार्यकारिणी के नवनियुक्त सदस्य शामिल हुए। हालांकि, बैठक में न तो नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार शामिल हुए और न ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, और गोविंद सिंह जैसे सीनियर नेता नजर आए। जबकि यह बैठक पॉलिटिकल अफेयर कमेटी के फैसलों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें इन सभी नेताओं का होना अपेक्षित था। बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भावुक अंदाज में कहा, “हमें मिलकर काम करना है और अपनी जिम्मेदारी को निभाना है।”
वरिष्ठ नेताओं की गैरहाजिरी से जहां कांग्रेस के अंदरूनी हालात पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बैठक को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। क्या यह नेतृत्व में खींचतान का संकेत है, या किसी रणनीति का हिस्सा? इन सवालों ने प्रदेश की सियासत में नई बहस छेड़ दी है। वहीं इस खींचतान पर आपकी क्या राय है, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।