जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
शुक्रवार, 15 नवंबर की रात झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में आग लगने से 10 मासूम बच्चों की जान चली गई। इस घटना ने झांसी में अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
वहीं, इस घटना से सीख लेते हुए मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। शनिवार को उन्होंने सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को फायर और इलेक्ट्रिकल सुरक्षा के लिए कड़े निर्देश दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि सभी अस्पतालों को फायर और इलेक्ट्रिकल ऑडिट कराना जरूरी है। फायर सिस्टम और फायर एक्सटिंग्विशर को हमेशा चालू रखना होगा और समय-समय पर इन्हें रिफिल भी कराना होगा।
इसके अलावा, अस्पतालों को नियमित रूप से फायर ड्रिल करने और आपातकालीन निकास द्वार को हमेशा खुला रखने के लिए कहा गया है। स्टाफ को भी आपात स्थितियों में वार्ड खाली करने का प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए गए हैं। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुआ यह हादसा एक चेतावनी है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही जानलेवा हो सकती है। वहीं, मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग का यह कदम आने वाली त्रासदियों को रोकने का एक प्रयास है।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि फायर और इलेक्ट्रिकल सुरक्षा सुनिश्चित करना हर संस्थान प्रमुख की जिम्मेदारी होगी। किसी भी चूक के लिए वे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे। जांच के लिए औचक निरीक्षण किए जाएंगे। यदि किसी संस्थान में सुरक्षा उपायों की अनदेखी पाई गई, तो उसे तुरंत बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा, संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। फायर ऑडिट, फायर ड्रिल और आकस्मिक निकास का रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा। विभाग ने साफ तौर पर कहा कि लापरवाही अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी।