जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की राजनीति एक बार फिर उस पुराने और बेहद संवेदनशील मामले से हिल उठी है, जिसमें कांग्रेस विधायक और विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे पर रेप, अपहरण और धमकी जैसे गंभीर आरोप लगे थे। अब इस केस की जांच एक बार फिर से शुरू की जा रही है, और इस बार खुद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर DIG स्तर के अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। कोर्ट ने यह साफ किया है कि हेमंत कटारे की फिलहाल गिरफ्तारी नहीं की जाएगी, लेकिन यदि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया तो गिरफ्तारी पर लगी रोक हट सकती है।
यह मामला 2018 में सामने आया था जब भोपाल में मास्टर डिग्री कर रही एक छात्रा ने हेमंत कटारे पर यौन शोषण, अपहरण और ब्लैकमेलिंग जैसे आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी। छात्रा का कहना था कि कटारे ने दोस्ती के नाम पर न सिर्फ उसका शारीरिक शोषण किया, बल्कि उसे धमकाया भी। यह मामला तब और भी बड़ा हो गया जब पीड़िता का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह पूरी घटना को विस्तार से बता रही थी।
हालांकि मार्च 2018 में कहानी ने पलटी खाई जब हेमंत कटारे ने उल्टा पीड़िता पर झूठे केस में फंसाने और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया। अप्रैल 2018 में पीड़िता ने मीडिया के सामने बयान दिया कि उसने झूठे आरोप लगाए थे, लेकिन बाद में एक और बयान में उसने फिर से अपने पहले दावे पर लौटते हुए कहा कि उसने दबाव में आकर आरोप वापस लिए थे।
अब सालों बाद दिसंबर 2024 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने हेमंत कटारे को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी और केस की दोबारा जांच पर सहमति जताई। लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और अन्य सरकारी वकीलों ने यह दलील दी कि जांच की निष्पक्षता के लिए इसकी निगरानी DIG स्तर के अधिकारी करें।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि मामले की जांच अब भोपाल रेंज के डीआईजी की निगरानी में होगी। कोर्ट ने कहा कि यह केस बेहद गंभीर है और न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले किसी भी पक्ष को राहत नहीं दी जा सकती। हेमंत कटारे को जांच में पूरा सहयोग देना होगा, तभी गिरफ्तारी पर लगी राहत जारी रहेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह में जवाब (काउंटर एफिडेविट) दाखिल करने को कहा है।