NIA की बड़ी कार्रवाई: पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत के जिम्मेदार आतंकियों को छिपाने वाले पकड़े गए, दो गिरफ्तार; आरोपी बोले- पाकिस्तानी थे आतंकी, लश्कर से थे जुड़े!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के करीब दो महीने बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को बड़ी सफलता हाथ लगी है। एजेंसी ने पहलगाम के दो स्थानीय लोगों—परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार को गिरफ्तार किया है। जांच में यह सामने आया है कि इन दोनों ने हमले को अंजाम देने वाले तीन आतंकियों को शरण दी थी। पूछताछ में आरोपियों ने न सिर्फ आतंकियों की पहचान बताई, बल्कि इस बात की भी पुष्टि की कि वे सभी पाकिस्तानी नागरिक थे और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे।

NIA के अनुसार, हमले से पहले इन तीनों आतंकियों को हिल पार्क इलाके में स्थित एक अस्थायी ढोक (झोपड़ी) में छिपाया गया था। वहां परवेज और बशीर ने उन्हें न सिर्फ सुरक्षित पनाह दी, बल्कि भोजन, आवश्यक सामग्री और तकनीकी सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं। यह सब योजनाबद्ध ढंग से किया गया, ताकि आतंकी आराम से हमले को अंजाम दे सकें और उसके बाद फरार हो जाएं।

गौरतलब है कि यह आतंकी हमला 22 अप्रैल को बायसरन घाटी में हुआ था, जो पहलगाम से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित है। आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई और 16 गंभीर रूप से घायल हुए। यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी कड़ी निंदा हुई थी।

हमले के बाद जांच एजेंसियों को तीन आतंकियों की जानकारी मिली थी। 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने जिन तीन आतंकियों के स्केच जारी किए थे, उनमें शामिल थे – आदिल हुसैन ठोकर (अनंतनाग निवासी), हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान, और अली उर्फ तल्हा भाई। बताया गया कि मूसा और अली पाकिस्तान के रहने वाले हैं और मूसा पाकिस्तानी स्पेशल सर्विस ग्रुप का पूर्व कमांडो है। इन सभी आतंकियों पर 20-20 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। हालांकि NIA की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि गिरफ्तार दोनों आरोपियों ने इन्हीं तीनों आतंकियों की मदद की थी या किसी और की।

इस हमले का करारा जवाब भारत ने 6-7 मई की रात को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत दिया। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और POK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर दी। इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर के 10 परिजन और 4 शीर्ष सहयोगी शामिल थे। भारत की ओर से इस कार्रवाई में 24 मिसाइलें दागी गईं, जो पूरी तरह सटीक लक्ष्य पर जा गिरीं।

NIA की इस गिरफ्तारी से यह भी साफ हो गया है कि स्थानीय नेटवर्क अब भी घाटी में आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहा है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती और तेजी से हो रही जांच इन नेटवर्क को तेजी से ध्वस्त कर रही है। पहलगाम हमले जैसे जघन्य अपराधों के पीछे जो भी हाथ है, वह अब कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएगा।

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