जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
संसद से लेकर सड़क तक आज राजनीतिक माहौल बेहद गर्म रहा। वोटर वेरिफिकेशन और कथित वोट चोरी के आरोपों को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया ब्लॉक’ के करीब 300 सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च निकालने का ऐलान किया। यह विरोध प्रदर्शन संसद के मकर द्वार से शुरू हुआ, जहां सांसद हाथों में ‘वोट बचाओ’ जैसे बैनर लेकर आगे बढ़ रहे थे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें परिवहन भवन के पास बैरिकेड लगाकर रोक दिया।
मार्च में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव, शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डिंपल यादव, संजय राउत समेत कई विपक्षी नेता शामिल थे। इस दौरान माहौल तब तनावपूर्ण हो गया जब कुछ सांसद बैरिकेड फांदकर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे। अखिलेश यादव ने पुलिस की रोक के बावजूद बैरिकेड पार किया, जिसके बाद अन्य सांसदों ने भी ऐसा करने का प्रयास किया। जवाब में पुलिस ने उन्हें वहीं रोक लिया और कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गए नेताओं को संसद मार्ग थाने ले जाया गया।
प्रदर्शन के बीच एक अप्रत्याशित स्थिति तब पैदा हुई जब तृणमूल कांग्रेस सांसद मिताली बाग की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वे बेहोश हो गईं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अन्य सांसद तुरंत उनकी मदद के लिए आगे आए। बाद में उन्हें चिकित्सकीय सहायता दी गई।
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सरकार शांतिपूर्ण विरोध को दबा रही है और सांसदों को चुनाव आयोग तक जाने से रोका जा रहा है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “देश में किस तरह का लोकतंत्र है, जहां सांसदों को भी चुनाव आयोग तक जाने की आजादी नहीं है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर पुलिस कह रही है कि 30 सांसद ही जा सकते हैं, तो कम से कम उन 30 को तो अनुमति दी जानी चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले को गैर-जरूरी और गैर-लोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि सभी दलों से 30 सांसद चुनना व्यावहारिक रूप से असंभव है। उनका कहना था कि चुनाव आयोग को इस मामले को संवेदनशील तरीके से संभालना चाहिए था। प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार को ‘कायर’ बताते हुए कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज़ से डर रही है, जबकि राहुल गांधी ने साफ-सुथरी और पारदर्शी वोटर लिस्ट की मांग दोहराई।
दूसरी ओर, भाजपा के केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विपक्ष के इस कदम को राजनीतिक नाटक करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं और कांग्रेस बार-बार EVM और चुनावी प्रक्रिया को लेकर झूठ फैलाती है ताकि अराजकता फैलाई जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम के चलते संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ। विपक्षी सांसद ‘वी वॉन्ट जस्टिस’ के नारे लगाते रहे और लोकसभा की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष का कहना है कि पिछले दो हफ्तों से वे वोटर वेरिफिकेशन और चुनावी पारदर्शिता के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं, लेकिन सरकार इससे बच रही है। बता दें, संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक यानी कुल 32 दिन चलेगा।