Politics: Congress के पूर्व राज्याध्यक्ष Ashok Tanwar और Selja, अब एक-दूसरे के सामने, राजनीतिक विरासत बचाने का चुनौती

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Congress के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष Ashok Tanwar और Kumari Selja अब चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. कभी-कभी दोनों की जुगलबंदी भी हो जाती थी. Ashok Tanwar करीब 40 दिन से सिरसा संसदीय क्षेत्र से BJP प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं, जबकि Congress प्रत्याशी कुमारी शैलजा को महज 29 दिन की तैयारी में मुकाबला करना पड़ा है। वह तीसरी बार सिरसा के चुनावी रण में उतरने जा रही हैं. Ashok Tanwar कार्यक्षेत्र में अपनी साख बचाने में जुटे हैं तो दूसरी ओर शैलजा के सामने राजनीतिक विरासत की जमीन बचाने की चुनौती है. दोनों एक ही जाति के हैं. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच कांटे की टक्कर होने के आसार हैं.

आपको बता दें कि सितंबर 2019 में विधानसभा चुनाव से पहले Congress आलाकमान ने Ashok Tanwar को हटाकर कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी. जब Ashok Tanwar प्रदेश अध्यक्ष थे तो शैलजा से उनके करीबी रिश्ते थे. हालांकि, कुमारी शैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के एक महीने बाद ही Ashok Tanwar ने Congress पार्टी छोड़ दी थी. बाद में वह पहले तृणमूल Congress और फिर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गये। BJP में शामिल होने के महज 54 दिन बाद 12 मार्च को उन्हें सिरसा से BJP उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.

चौधरी दलबीर सिंह की राजनीतिक विरासत साल 1991 में संभाली गई

प्रदेश के दिग्गज दलित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी दलबीर सिंह की राजनीतिक विरासत संभालने वाली कुमारी शैलजा ने 1991 के लोकसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. 1987 में चौधरी दलबीर सिंह की मृत्यु के बाद, Congress ने 1991 के आम चुनावों में उनकी बेटी शैलजा को सिरसा संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया।

पहले ही चुनाव में कुमारी शैलजा ने 42.92 फीसदी वोट लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी जनता पार्टी के हेतराम को 99 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर अपनी श्रेष्ठता साबित की. इसके बाद शैलजा ने 1996 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। हालांकि, 1998 में हुए तीसरे चुनाव में कुमारी शैलजा Haryana लोकदल के उम्मीदवार डॉ. सुशील इंदौरा से 93930 वोटों से हार गईं। इसके बाद शैलजा ने दोबारा सिरसा से चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद 2004 में Congress ने उन्हें अंबाला सीट से मैदान में उतारा.

1991 के चुनाव में यही स्थिति थी

साल 1991 में सिरसा लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 9,91,095 थे. इनमें से 6,70,827 मतदाताओं ने मतदान किया था. इस चुनाव में कुमारी शैलजा समेत 15 उम्मीदवार मैदान में थे. इनमें से 6 उम्मीदवार अलग-अलग पार्टियों से थे और 9 उम्मीदवार निर्दलीय थे. इस चुनाव में Congress की कुमारी शैलजा पहले स्थान पर, जनता पार्टी के हेतराम दूसरे स्थान पर, जनता दल के सखीराम तीसरे स्थान पर, BJP के प्यारेलाल फौजी चौथे स्थान पर और Haryana विकास पार्टी के रामशरण पांचवें स्थान पर रहे.

दूसरे चुनाव में कड़ी टक्कर हुई, वह 15,147 वोटों से जीत गईं.

1996 के चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 10,72,284 हो गई. 8,22,156 मतदाताओं ने मतदान किया था. उस चुनाव में 20 उम्मीदवार मैदान में थे. ये चुनाव काफी कांटेदार रहा. शैलजा यह चुनाव 15,147 वोटों से जीतने में सफल रहीं. इस चुनाव में 20 में से 16 उम्मीदवार निर्दलीय थे, जबकि Congress , समता पार्टी, बीजेपी और कम्युनिस्ट पार्टी के ही उम्मीदवार थे. समता पार्टी के सुशील कुमार 2,60,312 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि BJP के हंसराज 1,95,451 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. CPI के प्रकाश सिंह 27573 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे.

Congress ने 14 में से 8 चुनाव जीते

1967 से 2019 तक सिरसा संसदीय क्षेत्र पर हुए 14 चुनावों में से 8 में Congress ने जीत हासिल की है। Congress से चौधरी दलबीर सिंह और उनकी बेटी कुमारी शैलजा ने 8 में से 6 चुनाव जीते हैं। यहां ज्यादातर चुनावों में Congress और चौधरी देवीलाल समर्थित पार्टी के बीच मुकाबला होता रहा है. पहले जनता दल, फिर लोकदल और फिर इनेलो के साथ Congress मुख्य मुकाबले में रही है. साल 2019 में BJP ने पहली बार जीत हासिल की. इस बार Congress और BJP के बीच कांटे की टक्कर होगी.

29 या 30 अप्रैल को फतेहाबाद आएंगे

कुमारी सैलजा 29 या 30 अप्रैल को फतेहाबाद आएंगी। इस दौरान वह कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ बैठक करेंगी और उन्हें लोकसभा चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश देंगी. सैलजा समर्थक एवं पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया ने बताया कि कुमारी शैलजा 29 या 30 अप्रैल को फतेहाबाद में कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगी.

सिरसा से अब तक के सांसद और उनकी पार्टियाँ

1967: Congress के दलबीर सिंह
1971: Congress के दलबीर सिंह
1977: Bharatiya Lok Dal दल के चंद राम
1980: Congress के दलबीर सिंह
1984: Congress के दलबीर सिंह
1989: Janata Dal के हेतराम
1991: Congress की कुमारी शैलजा
1996: Congress की कुमारी शैलजा
1998: Haryana Lok Dal के डॉ. सुशील कुमार इंदौरा
1999: INLD के डॉ. सुशील कुमार इंदौरा
2004: Congress के आत्मा सिंह गिल
2009: Congress के अशोक तंवर
2014: INLD के चरणजीत सिंह रोड़ी
2019: BJP की सुनीता दुग्गल

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