जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक बार फिर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने कर्नाटक और महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि देश के कई राज्यों में मतदाता सूची में संगठित गड़बड़ी हुई है। उन्होंने इसे “वोट चोरी का संगठित अपराध” बताया और कहा कि उनके पास इसके पुख्ता सबूत हैं।
प्रजेंटेशन के दौरान राहुल गांधी ने स्क्रीन पर बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट और महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट का तुलनात्मक डेटा प्रस्तुत किया। उन्होंने दावा किया कि सिर्फ इन दो क्षेत्रों के विश्लेषण से यह साफ होता है कि मतदाता सूची में नाम दोहराए गए हैं, फर्जी पते दर्ज किए गए हैं और कई स्थानों पर मतदाताओं के फोटो ही नहीं हैं।
’32 हजार वोटों का अंतर, पर 1 लाख से ज्यादा वोटों की हेराफेरी’
राहुल गांधी ने कहा कि बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर कांग्रेस को 6.26 लाख वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 6.58 लाख। यानी कुल अंतर सिर्फ 32,707 वोटों का रहा। लेकिन महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से करीब 1.14 लाख ज्यादा वोट मिले। राहुल ने सवाल उठाया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एक ही लोकसभा सीट के अंदर एक विधानसभा क्षेत्र में इतने बड़े स्तर पर वोटों का असंतुलन हो?
उन्होंने आरोप लगाया कि यह आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वोट चोरी सुनियोजित तरीके से की गई है – और यह सिर्फ एक सीट की कहानी नहीं, बल्कि पूरे देश में चुनाव आयोग की मिलीभगत से वोटर लिस्ट में हेराफेरी की जा रही है।
राहुल के तीन सीधे आरोप – चुनाव आयोग किसे बचा रहा है?
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर तीन प्रमुख आरोप लगाए:
-
डिजिटल वोटर लिस्ट साझा नहीं की जा रही: राहुल ने कहा कि चुनाव आयोग जानबूझकर वोटर रोल का डिजिटल डेटा सार्वजनिक नहीं कर रहा है ताकि गड़बड़ी को छिपाया जा सके।
-
CCTV फुटेज पर प्रतिबंध: अब नियमों में यह बदलाव किया गया है कि सीसीटीवी फुटेज किसी को नहीं दी जाएगी। राहुल का सवाल – “आखिर छिपाने की क्या जरूरत है?”
-
स्कैन और कॉपी प्रोटेक्शन: राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग की ओर से जो मतदाता सूची दी जाती है, वह स्कैन या कॉपी नहीं की जा सकती। आखिर इस तरह की सुरक्षा क्यों?
राहुल गांधी ने अपने बयान में चुनाव आयोग की साख पर सीधा हमला करते हुए कहा – “हमारे पास सबूत हैं कि चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्था नहीं रही। यह संस्था खत्म हो चुकी है और सिर्फ एक राजनीतिक हथियार बन गई है।”
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की कार्रवाई पूरी तरह भाजपा के पक्ष में काम कर रही है, और इसका उद्देश्य विपक्षी दलों के वोट को काटना या गायब करना है। राहुल ने दावा किया कि जैसे ही उनके पास मौजूद सभी सबूत सार्वजनिक किए जाएंगे, देश को समझ आ जाएगा कि लोकतंत्र का आधार कैसे कमजोर किया जा रहा है।
वहीं, बिहार में भी नए वोटर वेरिफिकेशन डेटा ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। 1 अगस्त को जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में कुल वोटरों की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ हो गई है। यानी लगभग 65 लाख मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इनमें से 22 लाख की मौत हो चुकी है, 36 लाख अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो गए हैं और 7 लाख लोग नए निवासियों की सूची में शामिल हुए हैं।
राहुल गांधी सहित पूरे विपक्ष ने इन आंकड़ों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह सिर्फ ‘डाटा क्लीनिंग’ नहीं, बल्कि ‘पॉलिटिकल क्लीनिंग’ है। राहुल गांधी के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने 2 अगस्त को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को पूर्व में भी विस्तृत जवाब दिया गया था, और यदि कोई और आपत्ति है तो पार्टी कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकती है। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव पारदर्शिता के साथ, सभी नियमों के तहत और हजारों अधिकारियों की निगरानी में कराए गए हैं।
इसके बावजूद राहुल गांधी का कहना है कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया और उसके दस्तावेज इस कदर ‘सीक्रेट’ बनाए गए हैं कि जांच की कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी गई।