जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भोपाल नगर निगम परिषद की बैठक कई मुद्दों के साथ शुरू हुई, लेकिन जैसे ही कार्यवाही आगे बढ़ी, माहौल गरमा गया। बैठक की शुरुआत में ही निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने प्रश्नकाल की घोषणा की, लेकिन भाजपा पार्षद विलासराव घाड़गे ने अप्रत्याशित रूप से निगमायुक्त हरेंद्र नारायण की कार्यप्रणाली पर तीखे सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कमिश्नर के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। इतना कहते ही वे अध्यक्ष की आसंदी के सामने ज़मीन पर बैठ गए — एक तरह का मौन विरोध, जो परिषद की गरिमा को चुनौती देता नज़र आया।
उनके इस क़दम पर सत्ता पक्ष से तीखी प्रतिक्रिया आई। एमआईसी सदस्य जगदीश यादव ने घाड़गे के विरोध पर नाराजगी जताई और कहा कि निगमायुक्त की बदौलत ही भोपाल को राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी रैंकिंग मिली है। मामला यहीं नहीं थमा — कांग्रेस पार्षद भी इस बहस में कूद पड़े। नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता ज़की, पार्षद मोहम्मद सरवर और योगेन्द्र सिंह ‘गुड्डू’ चौहान ने भी कमिश्नर का पक्ष लेते हुए भाजपा पार्षद के विरोध को “राजनीतिक नाटक” करार दिया।
हंगामा कुछ मिनटों तक चलता रहा, फिर अध्यक्ष ने खुद हस्तक्षेप कर पार्षद घाड़गे को समझाया और उन्हें स्थान ग्रहण करने को कहा। इसके बाद प्रश्नकाल की कार्यवाही लगभग एक घंटे तक चली।
2 स्थानों के नाम बदलने का प्रस्ताव — ‘राम बाग’ और ‘विवेकानंद चौक’
बैठक में सबसे प्रमुख प्रस्तावों में से एक था भोपाल के दो स्थानों के नाम बदलने का। वार्ड-69 के पार्षद सूर्यकांत गुप्ता द्वारा लाए गए प्रस्ताव के अनुसार, पुराने शहर का ‘ओल्ड अशोका गार्डन’ अब ‘राम बाग’ कहलाएगा। इस नामकरण की माँग लंबे समय से स्थानीय रहवासियों और ‘पुराना अशोका गार्डन सुधार समिति’ द्वारा की जा रही थी, जिसने 26 मई 2024 को एक साधारण सभा में इस पर सहमति जताई थी।
दूसरा नामकरण प्रस्ताव ‘विवेकानंद चौक’ का है, जो 80 फीट रोड स्थित विवेकानंद पार्क के समीप चौराहे के लिए दिया गया है। नागरिकों का कहना है कि इस चौराहे की कोई स्पष्ट पहचान नहीं थी, और अब ‘विवेकानंद चौक’ के नाम से नई पहचान बनेगी। ये दोनों प्रस्ताव एमआईसी से पहले ही पारित हो चुके हैं और अब परिषद से अंतिम स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं।
25 करोड़ की लागत से 6 नए विसर्जन कुंड
बैठक में धार्मिक और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा प्रस्ताव रखा गया — भोपाल में 6 नए विसर्जन कुंड बनाने का। इन कुंडों का कुल बजट करीब 25 करोड़ रुपये रखा गया है। सबसे अधिक बजट प्रेमपुरा विसर्जन कुंड के लिए निर्धारित किया गया है, जिसकी लागत 7.34 करोड़ रुपये होगी। इसके अलावा बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में 4.45 करोड़ रुपये, नीलबड़ में 6.01 करोड़, संजीव नगर में 4.77 करोड़, और मालीखेड़ा में 2.49 करोड़ रुपये की लागत से विसर्जन कुंड बनाए जाएंगे।
इन कुंडों में मॉनिटरिंग टॉवर, शेड, रिटेनिंग वॉल, पाथवे, बाउंड्री वॉल, हर्टिकल्चर लेआउट, ड्रेनेज कल्वर्ट, इलेक्ट्रिफिकेशन और इंट्रेस गेट जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। इसका उद्देश्य नदियों को प्रदूषण से बचाना और गणेश व दुर्गा विसर्जन जैसे आयोजनों को सुव्यवस्थित बनाना है।
बैठक के बीच परिषद भवन में घुसा बारिश का पानी
बैठक के दौरान एक और हैरान करने वाला दृश्य सामने आया — परिषद हॉल में बारिश का पानी टपकने लगा। तेज बारिश के चलते भवन की छत से धार की तरह पानी बहने लगा, जिससे कुछ देर के लिए परिषद हॉल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस पर अध्यक्ष सूर्यवंशी ने तुरंत आश्वासन दिया कि परिषद भवन का रेनोवेशन जल्द कराया जाएगा।
विपक्ष की तैयारी और विवाद
बैठक में विपक्ष का फोकस ‘शहर सरकार’ को पानी, सड़क और सुलभ शौचालय शुल्क जैसे मुद्दों पर घेरने का था। खासकर सार्वजनिक शौचालयों के शुल्क बढ़ाने को लेकर विपक्ष की नाराजगी पहले से ही जाहिर है। साथ ही, बारिश के पानी से जूझते परिषद भवन ने सरकार की तैयारियों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।