जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने श्रीकृष्ण पाथेय योजना के ज़रिए भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म को राष्ट्रीय फलक पर पुनर्स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। यह योजना सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि 13 अन्य राज्यों के सहयोग से इसे एक संयुक्त सांस्कृतिक-अध्यात्मिक यात्रा का स्वरूप दिया जाएगा। इस ऐतिहासिक योजना में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मणिपुर और असम जैसे राज्य शामिल होंगे। इन राज्यों में श्रीकृष्ण से जुड़ी परंपराओं, स्थलों और उनके जीवन से संबंधित यात्रा-पथ की स्टडी की जाएगी, जिससे ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ को एक प्रामाणिक और व्यापक आयाम मिल सके।
मोहन कैबिनेट पहले ही इस योजना को मंजूरी दे चुकी है और अब संस्कृति विभाग को ‘श्रीकृष्ण पाथेय न्यास’ के गठन और रजिस्ट्रेशन के निर्देश दिए गए हैं। इस न्यास में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर के धर्माचार्य, संत, विद्वान और एक्सपर्ट्स को शामिल किया जा रहा है। ज्ञानानंद महाराज, आचार्य राजेंद्र दास महाराज जैसे प्रतिष्ठित धर्मगुरु इसकी विशेषज्ञ समिति का हिस्सा होंगे। साथ ही श्रीकृष्ण विषयक साहित्य, शोध और व्याख्यानों को बढ़ावा देने की भी योजना है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए हैं कि इस योजना की शुरुआत मध्यप्रदेश और राजस्थान के संयुक्त कार्ययोजना से की जाए। दोनों राज्यों के विद्वानों की एक साझा समिति श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े संभावित मार्गों का अध्ययन कर एक डिटेल रूट चार्ट तैयार करेगी। इन मार्गों पर अधोसंरचना विकास की ज़रूरतों को चिह्नित किया जाएगा, ताकि भावी यात्राएं श्रद्धा और सुविधा दोनों का संगम बन सकें। उज्जैन, जयपुर, भोपाल और भरतपुर में बैठकों का आयोजन कर इस योजना को जमीनी स्तर पर विस्तार दिया जाएगा।
योजना का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक पर्यटन नहीं है, बल्कि श्रीकृष्ण की शिक्षाओं और गीता में वर्णित मूल्य-आधारित जीवनशैली को जन-जन तक पहुंचाना भी है। इसके लिए स्कूल शिक्षा, जनजातीय कार्य, उच्च शिक्षा और जेल विभाग को जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों और यहां तक कि जेलों में भी गीता परिवार द्वारा संचालित ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की जाएंगी। प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी, जिससे युवा पीढ़ी और बंदी भी श्रीकृष्ण के ज्ञान से जुड़ सकें।
उज्जैन स्थित सांदीपनि आश्रम को भी गरिमामयी रूप में विकसित किया जाएगा। यहां 64 कलाओं और 14 विद्याओं की शिक्षा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय वैदिक गुरुकुल की स्थापना की जाएगी। धार जिले के अमझेरा में ‘श्रीकृष्ण रुक्मिणी लोक’ और ‘श्रीकृष्ण लीला गुरुकुल’ की स्थापना होगी, जबकि जानापाव में ‘श्रीकृष्ण लोक’ और भगवान परशुराम की उपस्थिति को साकार किया जाएगा।
सरकार का इरादा राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए उसे समकालीन भारत से जोड़ने का है। इसी क्रम में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम अब ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ रखा जाएगा। धार्मिक आयोजनों जैसे गोवर्धन पूजा, जन्माष्टमी, गीता जयंती और जगन्नाथ यात्रा को पूरे प्रदेश में भव्यता से मनाने का जिम्मा धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग को सौंपा गया है।
राज्य के 3200 से अधिक श्रीकृष्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार, गीता भवनों की स्थापना, श्रीकृष्ण शरणम् मम केन्द्रों की रचना, और श्रीकृष्ण से जुड़ी पुस्तकों का वितरण भी इस योजना में शामिल है। पुरातत्व, अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के ज़रिए श्रीकृष्ण पथ की मैपिंग, संरचना और ऐतिहासिक मान्यता की पुष्टि की जाएगी।