जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
तमिल सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और कॉमेडियन मदन बॉब का शनिवार को 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे लंबे समय से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने चेन्नई के अद्यार स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। 40 सालों तक तमिल फिल्म इंडस्ट्री में अपने हास्य अभिनय से लाखों दिलों पर राज करने वाले मदन बॉब की विदाई ने पूरे फिल्म जगत को शोक में डाल दिया है।
मदन बॉब, जिनका असली नाम एस. कृष्णमूर्ति था, ने अपने करियर की शुरुआत बतौर म्यूजिक डायरेक्टर की थी, लेकिन बालू महेंद्र की फिल्म ‘नींगल केट्टावई’ (1984) से उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। पहली ही फिल्म में उनकी छोटी भूमिका ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए उन्होंने कॉमेडी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
उनकी हास्य भूमिकाएं सिर्फ हल्के-फुल्के मनोरंजन तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उनमें समाज की विडंबनाओं को भी बड़े चतुराई से दर्शाया जाता था। ‘थेवर मगन’, ‘फ्रेंड्स’, ‘सथी लीलावती’, ‘चंद्रमुखी’, ‘कावालन’, ‘रन’, ‘वरलारू’, और ‘वसूल राजा एमबीबीएस’ जैसी फिल्मों में उनका हास्य अभिनय यादगार बन चुका है। वे रजनीकांत, कमल हासन, अजीत, विजय, सूर्या जैसे सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके थे।
उनके निधन पर तमिल फिल्म इंडस्ट्री शोक में डूबी हुई है। मशहूर एक्टर, डायरेक्टर और कोरियोग्राफर प्रभु देवा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “हमने साथ में स्क्रीन शेयर की है और सेट पर उनकी मौजूदगी हमेशा उत्साह से भरी होती थी। उनकी मुस्कान, उनका सेंस ऑफ ह्यूमर, और उनकी ऊर्जा – सब कुछ याद रहेगा।”
मदन बॉब का जाना सिर्फ एक कलाकार का जाना नहीं है, बल्कि तमिल सिनेमा के एक युग का अंत है। वे सिर्फ एक कॉमेडियन नहीं, बल्कि वो चेहरा थे जो किसी भी तनाव भरे सीन को मुस्कान में बदल देता था। उनकी यह विरासत आने वाले कलाकारों को न सिर्फ प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाएगी कि हास्य में भी एक संवेदना होती है।