जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश में पदस्थ आईएएस, आईपीएस, आईएफएस समेत केंद्र सरकार से जुड़े लगभग दो लाख अधिकारी-कर्मचारियों के सामने पेंशन स्कीम को लेकर बड़ा फैसला लेने का समय आ गया है। वित्त मंत्रालय के निर्देशों के बाद राज्य में तैनात सभी केंद्रीय कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में से एक विकल्प चुनने के लिए कहा गया है। यह चयन प्रक्रिया केवल 30 सितंबर 2025 तक ही संभव है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जिन कर्मचारियों ने पहले से यूपीएस अपनाया है, उन्हें केवल एक बार एनपीएस में स्विच करने का अवसर मिलेगा। लेकिन इस स्विच के बाद वे दोबारा यूपीएस में नहीं लौट पाएंगे। यानी यह “वन-टाइम, नो-रिवर्स” का प्रावधान है।
कब कर पाएंगे स्विच?
कर्मचारियों के लिए एनपीएस में स्विच की प्रक्रिया भी तय शर्तों पर आधारित है।
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स्विच केवल सेवानिवृत्ति से कम से कम एक साल पहले या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले ही किया जा सकेगा।
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अगर किसी कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है, या उन्हें दंडस्वरूप बर्खास्त/अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है, तो वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
विकल्प न चुनने वालों का क्या होगा?
यदि कोई कर्मचारी 30 सितंबर तक अपना विकल्प दर्ज नहीं करता है, तो वह डिफॉल्ट रूप से यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत माना जाएगा। वहीं, जो कर्मचारी पहले से एनपीएस में बने रहना चाहते हैं, वे बाद में यूपीएस का विकल्प नहीं चुन सकेंगे।
कर्मचारियों को क्यों दी जा रही है यह सुविधा?
केंद्र सरकार ने यह प्रावधान इसलिए लागू किया है ताकि कर्मचारी अपने करियर और रिटायरमेंट की वित्तीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर निर्णय ले सकें। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कर्मचारी किसी भी कठिनाई से बचने और अपने अनुरोध का समय पर निपटारा कराने के लिए अंतिम समय का इंतजार न करें।
एमपी में तैनात केंद्रीय सेवाओं के अधिकारी और कर्मचारी अब उलटी गिनती में हैं। उन्हें तय करना होगा कि वे पारंपरिक यूनिफाइड पेंशन स्कीम के साथ रहेंगे या आधुनिक नेशनल पेंशन स्कीम की ओर कदम बढ़ाएंगे। यह निर्णय उनके रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक सुरक्षा और पेंशन लाभों को सीधे प्रभावित करेगा।