जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश के मैहर जिले में प्रशासनिक परिसीमन को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसने राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक में हलचल मचा दी है। मामला अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र की छह पंचायतों—मुकुंदपुर, धोबहट, आमिन, परसिया, आनंदगढ़ और पपरा—को रीवा जिले में शामिल करने के प्रस्ताव से जुड़ा है। यह प्रस्ताव सामने आते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक सुर में इसका विरोध करने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, 27 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री कार्यालय से मैहर कलेक्टर को एक पत्र भेजा गया, जिसमें प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग के परिसीमन के तहत इन पंचायतों को रीवा जिले में सम्मिलित करने पर अभिमत मांगा गया। कलेक्टर ने यह मामला एडीएम के माध्यम से संबंधित एसडीएम तक भेजा, जिसके बाद यह मुद्दा सार्वजनिक हुआ।
सबसे पहले सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि मैहर जिले का मुकुंदपुर और आसपास के गांव न केवल भौगोलिक रूप से जुड़े हैं, बल्कि यहां की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान भी एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी है। मुकुंदपुर की वाइट टाइगर सफारी और मां शारदा का मंदिर, दोनों मैहर जिले की शान हैं, जिन्हें किसी भी सूरत में अन्य जिले में नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने इसे “बड़ी साजिश” करार देते हुए मुख्यमंत्री से प्रस्ताव को तत्काल निरस्त करने की मांग की।
अमरपाटन से कांग्रेस विधायक राजेंद्र कुमार सिंह ने इसे “अमरपाटन क्षेत्र की अखंडता” पर हमला बताया और सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, किसानों, व्यापारियों और युवाओं से संगठित होकर इस प्रस्ताव का विरोध करने का आह्वान किया। उनका कहना है कि यह लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि क्षेत्र के सम्मान और अस्तित्व की है।
पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल पर विंध्य की उपेक्षा का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुकुंदपुर और आसपास के गांवों को रीवा में मिलाने की योजना “विंध्य की पहचान को कमजोर” करने का हिस्सा है।
इस बीच, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जिले की सीमा निर्धारण का विषय मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन आयोग के अधीन है और उनसे केवल सुझाव मांगा गया था। उन्होंने साफ किया कि उन्होंने स्वयं इस संबंध में कोई मांग नहीं की है और वे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। साथ ही, उन्होंने जनता से अपील की कि वे किसी “तथ्यहीन एजेंडे” का हिस्सा न बनें।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या निर्णय लेते हैं। फिलहाल, मैहर से लेकर रीवा तक माहौल गरम है और यह विवाद प्रशासनिक सीमाओं से आगे बढ़कर विंध्य क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन विकास के भविष्य का सवाल बन चुका है।