जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन में राजनीतिक बहस, विधायी प्रक्रिया और जनहित के मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिली। कुल चार विधेयक सदन में पेश किए गए, जिनमें से एक उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और तीन विधेयक उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा द्वारा पेश किए गए। इन विधेयकों में विश्वविद्यालय संशोधन से लेकर स्टांप एवं रजिस्ट्री कानूनों में बदलाव शामिल हैं।
सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर विपक्ष का हमला
अनुपूरक बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक लखन घनघोरिया ने राज्य सरकार की विकास योजनाओं और उनके क्रियान्वयन की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में बनाई जा रही सड़कों की हालत बेहद खराब है और वे महज 40 दिनों में उखड़ रही हैं। उन्होंने जबलपुर की एक 56 करोड़ की सड़क का उदाहरण देते हुए कहा कि हाल की बारिश में वह सड़क बह गई। इस संदर्भ में उन्होंने अधिकारियों पर दिखावटी कार्रवाई करने और बड़ी मछलियों को छोड़ने का आरोप भी लगाया।
पेसा कानून पर सियासी घमासान
सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस विधायकों ने पेसा कानून के क्रियान्वयन में लापरवाही और आदिवासियों को वन क्षेत्रों से बेदखल किए जाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन्हें कोई काम करने का अनुभव नहीं, उन्हें मूल्यांकन का अधिकार भी नहीं होना चाहिए। वहीं बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि यह वही लोग हैं जो अब गिरगिट या भैंस बनकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि पेसा कानून भाजपा सरकार की देन है।
संस्कृत भाषा पर जोर, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव संस्कृत में
भाजपा विधायक डॉक्टर अभिलाष पांडे ने मध्यप्रदेश में संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए संस्कृत में ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसके जवाब में मंत्री उदय प्रताप सिंह ने भी संस्कृत में उत्तर दिया और बताया कि प्रदेश में 278 संस्कृत विद्यालय और 4 आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। संस्कृत शिक्षकों की भर्ती पर भी उन्होंने सदन को जानकारी दी।
बजट और योजनाओं को लेकर बहस तेज
अनुपूरक बजट पर चर्चा करते हुए विपक्ष ने बार-बार लाए जा रहे बजट पर सवाल उठाए और सरकारी खर्चों की पारदर्शिता पर चिंता जताई। कांग्रेस विधायक राजेंद्र कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है, ज़मीन पर कुछ नहीं होता। वहीं भाजपा विधायक अर्चना चिटनीस ने सुझाव दिया कि हर साल अधिकारियों से बजट व्यय पर चर्चा की जानी चाहिए जिससे योजनाओं की प्रगति पर नजर रखी जा सके।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर तीखी बहस
स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति भी सत्र में छाई रही। भाजपा विधायक अशोक रोहाणी और कांग्रेस विधायक भंवर सिंह शेखावत ने सरकारी अस्पतालों की अधूरी परियोजनाओं, उपकरणों की कमी और स्टाफ की नियुक्तियों पर चिंता जताई। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने जवाब देते हुए बताया कि सरकारी अस्पतालों में आउटसोर्सिंग और नियमित भर्तियों के जरिए स्टाफ की कमी को जल्द दूर किया जाएगा। सिविल अस्पताल मकरोनिया और रांझी हॉस्पिटल के लिए बजट स्वीकृति दी जा चुकी है।
महेश्वर परियोजना और विस्थापन का सवाल
कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने महेश्वर जल विद्युत परियोजना से प्रभावित परिवारों की स्थिति पर सरकार का ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि 10,000 परिवारों का पुनर्वास अधूरा है और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जवाब दिया कि मामला कोर्ट में लंबित है और सरकार प्रभावित परिवारों का पूरा ध्यान रखेगी।
अन्य मुद्दे: नक्शा विहीन गांव, राजस्व विवाद और पिछोर को जिला बनाने की मांग
विधानसभा में सतना जिले के नक्शा विहीन गांवों का मुद्दा उठा। सरकार ने माना कि 214 गांवों के नक्शे अभी तक तैयार नहीं हुए हैं, जिन पर काम जारी है। वहीं भाजपा विधायक प्रीतम लोधी ने पिछोर को जिला बनाए जाने की मांग को दोहराया। राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि यह मामला पुनर्गठन आयोग के विचाराधीन है।
पुलिस और कानून व्यवस्था पर 100 करोड़ का प्रस्ताव
गृह विभाग के लिए अनुपूरक बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें अपराधियों पर निगरानी रखने और आधुनिक उपकरण खरीदने के लिए 57 करोड़ रुपए, और केंद्र व राज्य पुलिस बल की प्रतिपूर्ति के लिए 5 करोड़ रुपए रखे गए हैं।