जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। उन्हें बच्चों से खास लगाव था और यही कारण है कि हम हर साल 14 नवंबर को ‘बाल दिवस’ के तौर पर मनाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कांग्रेस और तमाम नेताओं ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के अवसर पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।” वहीं, उज्जैन में गुरुवार को शहर कांग्रेस के नेता और पदाधिकारी कोठी रोड स्थित श्री बालोद्यान में एकत्रित हुए और पं. नेहरू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उनकी जयंती मनाई। इस अवसर पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी ने कहा कि पं. जवाहरलाल नेहरू ने देश की ख़ातिर कभी समझौता नहीं किया।
पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ, जिसे अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक जाने-माने बैरिस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू ने अपने शुरुआती सालों में घर पर पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें हाई स्कूल के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से कानून में डिग्री हासिल की और लंदन के इनर टेम्पल से बैरिस्टर बने। फिर वह भारत लौट आए क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना था और देश के लिए कुछ करना था। 1929 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन से पूरी स्वतंत्रता का संकल्प लिया, जिसे 26 नवंबर 1930 को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया गया। फिर 15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी तरक्की की और सम्मान पाया। पंडित नेहरू ने लोकतंत्र की मजबूत नींव रखी और गुटनिरपेक्ष नीति अपनाकर दुनिया में लोकतंत्र के प्रति अपने विश्वास को दर्शाया। उन्होंने शिक्षा, तकनीक और चिकित्सा के क्षेत्र में कई संस्थान स्थापित किए, जैसे कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM)। इसी वजह से उन्हें ‘आधुनिक भारत के शिल्पकार’ कहा जाता है। वे उन चंद लोगों में से थे जिन्होंने देश और दुनिया पर गहरा असर डाला।
बता दें, पंडित नेहरू बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे इसलिए उन्हें ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जाना जाने लगा और यही कारण है कि उनका जन्मदिन भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति स्नेह और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए उनका दृष्टिकोण उन्हें बच्चों के बीच प्रिय बना देता था। उनका मानना था कि बच्चे देश की असली शक्ति हैं और उन्हें प्यार और ध्यान के साथ पोषित किया जाना चाहिए। उनके इसी विचार और बच्चों के प्रति अटूट प्रेम के कारण उनके निधन के बाद 1964 में 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में घोषित किया गया है।