जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
ध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास का प्रवेश द्वार सोमवार को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का साक्षी बना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां विश्व की पहली वैदिक काल गणना पर आधारित घड़ी का अनावरण किया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल, मंत्री कृष्णा गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस अवसर पर उज्जैन से आए 51 ब्राह्मणों ने भी कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने न केवल इस अनूठी घड़ी का लोकार्पण किया बल्कि इससे जुड़े मोबाइल ऐप की शुरुआत भी की। यह ऐप वैदिक काल गणना, पंचांग, तिथि, नक्षत्र और मुहूर्त जैसी विस्तृत जानकारियों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर दुनिया भर के लोगों तक पहुंचाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय काल गणना का आधार हमेशा सूर्योदय से सूर्योदय तक रहा है, न कि रात 12 बजे से। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राचीन पद्धति में एक दिन का आरंभ सूर्य की पहली किरण से होता था, जो प्राकृतिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से ज्यादा तर्कसंगत है।
उन्होंने कहा, “हमारे सभी त्योहार और व्रत अंग्रेजी कैलेंडर की तिथियों पर आधारित नहीं होते। हमारी परंपरा में 30 घंटे के दिन को 30 मुहूर्तों में बांटा गया है। यही हमारी सनातन धरोहर है, जो हमें प्रकृति से जोड़ती है।”
सीएम ने बताया कि हजारों साल पहले हुए सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की गणना हमारी वैदिक प्रणाली ने सटीकता से की थी, जिसे आज का आधुनिक कंप्यूटर भी तुरंत निकालने में सक्षम नहीं है।
भारत के ज्ञान और समय की पुनर्स्थापना
डॉ. यादव ने कहा कि “पश्चिम का समय जब तक था, तब तक था। अब पूर्व का समय आया है। यह घड़ी भारत की हलचल और हमारी ज्ञानगंगा की धारा को पूरी दुनिया तक पहुंचाने का माध्यम बनेगी।”
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस घड़ी और इसके ऐप को अपनाकर इसे वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बनाएं। कार्यक्रम में मौजूद युवाओं को उन्होंने मोबाइल से QR कोड स्कैन कर ऐप डाउनलोड करने के लिए भी प्रेरित किया।
“भारत के समय की नई परिभाषा” – सांसद आलोक शर्मा
कार्यक्रम में भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि यह दिन भारत की काल गणना की पुनर्स्थापना के रूप में इतिहास में दर्ज होगा। उन्होंने कहा, “आज से भारत के समय की नई परिभाषा लिखी जा रही है। यह घड़ी हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हुए वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाएगी।”
मंत्री कृष्णा गौर ने इसे विरासत और विकास का संगम बताया। उन्होंने कहा कि वैदिक घड़ी के माध्यम से युवाओं को अपना गौरव और आत्मसम्मान लौट रहा है। “भविष्य युवाओं के कंधों पर टिका है और मुख्यमंत्री का संबल उनके साथ है। मुझे विश्वास है कि यह पीढ़ी भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।”
घड़ी के लोकार्पण से पहले राजधानी भोपाल के शौर्य स्मारक से कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों ने बाइक रैली निकाली। रैली रवींद्र भवन तक पहुंची और वहां से पैदल मार्च करते हुए मुख्यमंत्री निवास तक पहुंची। यहां ‘विक्रमादित्य वैदिक घड़ी: भारत के समय की पुनर्स्थापना’ विषय पर युवा संवाद आयोजित हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री ने छात्रों के साथ प्रत्यक्ष संवाद किया।
मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह घड़ी भारतीय काल गणना पद्धति पर आधारित विश्व की पहली घड़ी है। इसे सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में लॉन्च किया था और तब से यह देश-दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।
यह घड़ी भारतीय पंचांग और वैदिक गणना को आधुनिक तकनीक से जोड़ती है। इसमें 189 से अधिक भाषाओं में जानकारी उपलब्ध है और उपयोगकर्ता न केवल समय बल्कि तिथि, वार, नक्षत्र, योग, मास, व्रत और त्योहारों की जानकारी भी देख सकते हैं।
मोबाइल ऐप की विशेषताएं
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का मोबाइल एप इसे और भी उपयोगी बनाता है। इसमें –
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7000 वर्षों का पंचांग और दुर्लभ वैदिक गणना का संग्रह है।
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30 शुभ-अशुभ मुहूर्तों की जानकारी और अलार्म सुविधा है।
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वैदिक समय (30 घंटे), GMT, IST, सूर्योदय-सूर्यास्त, तापमान, हवा की गति और मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध है।
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यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्यों है यह घड़ी खास?
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सांस्कृतिक महत्व: यह घड़ी भारतीय काल गणना की प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करती है।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण: सूर्य की गति और छाया के आधार पर समय निर्धारण, जो खगोल विज्ञान का आधार है।
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आधुनिक तकनीक से तालमेल: मोबाइल ऐप और वैश्विक भाषाओं में उपलब्धता इसे विश्वस्तर पर प्रासंगिक बनाती है।
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आध्यात्मिक उपयोगिता: व्रत, त्यौहार और धार्मिक कार्यों के लिए सटीक मुहूर्त और तिथि की जानकारी।
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वैश्विक संदेश: भारत की सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धरोहर को दुनिया के सामने रखने का अनूठा प्रयास।