मप्र में फिर बदलेगा मौसम का मिजाज: चार दिन की राहत के बाद फिर बरसेंगे बादल, ग्वालियर-चंबल समेत 9 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी!

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जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:

मध्यप्रदेश में इस बार मानसून ने वक्त पर दस्तक जरूर दी, लेकिन बीते कुछ दिनों से राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश की रफ्तार धीमी पड़ी हुई है। राज्य में सक्रिय मानसूनी सिस्टम कमजोर पड़ने से पिछले चार दिनों से केवल कुछ चुनिंदा जिलों में ही रुक-रुक कर हल्की बारिश हो रही है। हालांकि, रविवार से मौसम के तेवर एक बार फिर बदल सकते हैं। मौसम विभाग ने ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग के 9 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, रविवार और सोमवार को ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी, दतिया, निवाड़ी, टीकमगढ़ और छतरपुर जिलों में भारी वर्षा की संभावना है। इन इलाकों में अगले 24 घंटों में साढ़े चार इंच तक बारिश होने की संभावना जताई गई है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन का कहना है कि वर्तमान में सक्रिय साइक्लोनिक सर्कुलेशन और टर्फ लाइन मध्यप्रदेश के ऊपरी हिस्सों पर केंद्रित है, जिसका व्यापक असर पूरे प्रदेश में नहीं दिख रहा। हालांकि उत्तरी जिलों में इसका प्रभाव नजर आएगा।

इससे पहले भी टीकमगढ़, गुना, नर्मदापुरम, नौगांव (छतरपुर), रीवा, सागर, सतना, सीधी और उमरिया में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। टीकमगढ़ में आधा इंच से ज्यादा पानी गिरा, जिससे स्थानीय जल स्रोतों में जल स्तर बढ़ा है।

पिछले हफ्ते बना था बाढ़ का संकट

पिछले सप्ताह प्रदेश में तेज बारिश के चलते कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। खासकर जबलपुर, रीवा, शहडोल और सागर संभाग में मानसून की झड़ी लगी रही। रायसेन में बेतवा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था, जिसके चलते खेतों, मंदिरों और पुलों तक में पानी भर गया। बीते दो दिनों में बारिश में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन नर्मदा नदी अब भी उफान पर है और कई डैम के गेट खोलने पड़े हैं।

अब तक औसत से ज्यादा वर्षा, मगर असमान वितरण चिंता का विषय

प्रदेश में इस बार मानसून की शुरुआत 16 जून को हुई थी और अब तक औसतन 28 इंच से अधिक बारिश हो चुकी है। जबकि सामान्य औसत के मुताबिक इस समय तक 17.6 इंच बारिश अपेक्षित थी। यानी अब तक 10.5 इंच अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मध्यप्रदेश की कुल औसत मानसूनी वर्षा करीब 37 इंच मानी जाती है।

ग्वालियर, राजगढ़, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, मुरैना और श्योपुर जैसे जिलों में बारिश का लक्ष्य पूरा हो चुका है। इन क्षेत्रों में सामान्य से 50% अधिक पानी बरस चुका है। टीकमगढ़ और निवाड़ी में सबसे अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इसके विपरीत इंदौर, उज्जैन और भोपाल जैसे महत्वपूर्ण संभागों में अब भी पानी की कमी बनी हुई है। उज्जैन संभाग की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जहां लगातार बादलों की बेरुखी देखी जा रही है।

अगले दो दिन अहम, किसानों की नजर आसमान पर

राज्य के किसानों के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। धान और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों के लिए जुलाई के अंतिम सप्ताह और अगस्त की शुरुआत निर्णायक मानी जाती है। अगर भारी बारिश का पूर्वानुमान सही बैठता है, तो इससे सिंचाई पर निर्भर किसानों को राहत मिलेगी। वहीं दूसरी ओर, जलाशयों और नदी-नालों में जलभराव से ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात और जनजीवन भी प्रभावित हो सकता है।

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