जनतंत्र, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया:
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, इस पद के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा 6 संभावित चेहरों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इनमें पूर्व मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के नाम प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त भाजपा के संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे सुनील बंसल और विनोद तावड़े भी इस दौड़ में शामिल माने जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन में तीन प्रमुख बातों को ध्यान में रखा जा रहा है – संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन, और जातीय समीकरण। यह संतुलन पार्टी के भविष्य की रणनीति और आगामी चुनावों में उसकी सफलता के लिए अहम माना जा रहा है।
क्यों हो रही है नए अध्यक्ष की तलाश?
पार्टी नियमों के अनुसार, भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक इस पद पर नहीं रह सकता। ऐसे में जो भी नया अध्यक्ष बनेगा, उसे अपने कार्यकाल में देश के कई अहम राज्यों में होने वाले चुनावों का नेतृत्व करना होगा। अनुमान है कि कम से कम 12 महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव, नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी में होंगे, जिनमें महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली, बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य भी शामिल हैं।
ऐसे में वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है और फिलहाल वे एक्सटेंशन पर हैं। इसके अलावा नड्डा अब केंद्र सरकार में मंत्री भी बन चुके हैं, जिसके चलते पार्टी उन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारियों से मुक्त करना चाहती है। ऐसे में भाजपा जल्द ही नया अध्यक्ष नियुक्त करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है।
अध्यक्ष बनने की प्रक्रिया क्या है?
भाजपा के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब ही हो सकता है जब पार्टी की 50% से अधिक राज्य इकाइयों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हों। भाजपा की कुल 37 मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयां हैं, जिनमें से अब तक 26 राज्यों में अध्यक्षों की नियुक्ति पूरी हो चुकी है।
गौरतलब है कि 1 और 2 जुलाई को ही पार्टी ने 9 राज्यों – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन दीव और लद्दाख – में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए। इस कवायद के बाद अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू होने के संकेत मिल चुके हैं।
बता दें, भाजपा एक बार फिर यह स्पष्ट संकेत देना चाहती है कि पार्टी और सरकार की जिम्मेदारियां अलग हैं और दोनों को पूरी गंभीरता और ताकत से निभाया जाना चाहिए। यही कारण है कि जेपी नड्डा के मंत्री बनने के साथ ही संगठन में नेतृत्व परिवर्तन को जरूरी माना जा रहा है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या पार्टी किसी अनुभवी और कद्दावर नेता को यह ज़िम्मेदारी सौंपती है, या किसी संगठन के मजबूत चेहरे को आगे लाकर युवाओं और नई रणनीति को प्राथमिकता देती है।